April 20, 2024

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विश्व कविता दिवस विशेष: “इस शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी रहेगी, कि कांच की कलमों में तेजाब भरकर सबसे दर्दनाक कविताएं लिखी गई स्त्रियों के चेहरों पर”- श्रुतिका साह

दुनिया की खूबसूरती को बयां करने के लिए कविता से बेहतर कोई माध्यम नहीं है, वहीं दुनिया के दुखों का भार भी इन्हीं कविताओं ने सदियों से अपने कंधों पर उठा रखा है। स्त्रियों के सारे सुख-दुख से भरे सपने इन कविताओं में ही बंधे हुए हैं, वही पुरुषों के शौर्य व डरों को भी कविताओं ने स्वीकारा है। विश्व में कितने ही लोग हुए हैं जिनके लिए इन कविताओं ने ही प्राणवायु का कार्य किया है। इस लिए कह सकते हैं कि कविताओं से हम हैं और हम ही से कविताएं हैं। कवियों और श्रोताओं, पाठकों के लिए भूत भी कविता थी, वर्तमान भी कविता है और भविष्य भी कविता ही रहेगी।
विश्व कविता दिवस को पूरे विश्व में हर वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता हैं। संयुक्त राष्ट्र ने प्रथम बार 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रुप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य कवियों एवं उनके द्वारा रचित प्रकृति, सामाजिक परिदृश्यों, ईश्वर के प्रति अपने भावों को अपनी कविताओं में प्रदर्शित करने वाले कवियों को सम्मानित करने से हैं।

विश्व कविता दिवस के अवसर पर आज हम आपको ऐसी ही एक सुप्रसिद्ध कवि जिन्होंने अल्प आयु में ही कविता जगत में अपनी बेबाक, ह्रदय स्पर्शी, प्रकृति प्रेमी, सामाजिक परिदृश्यों को अपनी कविताओं के माध्यम से प्रदर्शित कर कविता जगत में एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया है, हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले में स्थित द्वाराहाट निवासी सुप्रसिद्ध युवा कवि श्रुतिका साह की। वर्तमान समय में किसी पहचान की मोहताज नहीं विश्व रिकॉर्ड कवि सम्मेलन में ‘काव्य श्री’ से सम्मानित युवा कवि श्रुतिका साह से कविता जगत में उनके द्वारा दिए जा रहे योगदान व अनुभवों को विश्व कविता दिवस के उपलक्ष्य पर उन्हीं के द्वारा खबरी बॉक्स आवाज आपकी न्यूज चैनल से सांझा किया गया।

देखें

कवियों द्वारा रचित कविताएं सामाजिक परिदृश्यों का दर्पण: श्रुतिका साह

लड़कियों की बुलंद आवाज़ को दबाने के लिए उसके सुंदर चेहरे पर तेजाब फेंकना कहां की मानवता

एक रिक्शा चालक जो घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुबह घर से निकलता है और शाम को घर आता हैं, उसकी दर्द की दास्तां कोई नहीं देखता ‌: श्रुतिका साह

वैश्यावृति में लिप्त महिलाओं को हीन भावना से ना देखा जाए, समाज में उनकी भावनाओं का भी सम्मान हो: श्रुतिका साह

अखबार में छपती छोटी बच्चियों के साथ हो रही हैवानियत का दर्द : श्रुतिका साह

पुरूषों से नहीं महिलाओं से क्यों कहा जाता है कि समाज में संभलकर चलना : श्रुतिका साह

जब हम मुश्किलों में होते हैं तब ही भगवान को याद करते हैं

बेवजह लोगों को गंवानी पड़ रही है अपनी जान, अखबार में लहू से सनी कहानी

शहरों के स्कूलों की चकाचौंध गांव तक पंहुचने में कोसों दूर

युवा कवि श्रुतिका साह ने बताया कि कोई भी कवि जिन कविताओं की रचना करता है वह उसके जीवन से जुड़ी कोई घटनाक्रम, यात्रा वृतांत, सामाजिक परिदृश्यों में उसके द्वारा सुनी गई, देखी गई वह अनुभूति होती है जिसे वह अनुभूति करने के पश्चात् अपने मन के अंदर आए उन भावों को एक सटिक कविता के माध्यम से समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है।

युवा कवि श्रुतिका साह ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित करने से हैं, वो सारी चीजे जिन्हें कहीं न कहीं समाज में नजर अंदाज किया जाता है या कम आंका जाता है उन विषयों पर लिखना वो बेहद पसंद करती हैं।

युवा कवि श्रुतिका साह उन सभी सामाजिक घटनाओं, समस्याओं पर ज्यादा कविता लिखना पसंद करती हैं जिसे समाज में कहीं न कहीं नजर अंदाज किया जा रहा होता है। इसलिए उनकी कविताओं में कभी धर्म-जाति विषय में बेवजह विवाद करने वाले व्यक्तियों, तो कभी आधुनिक समाज में स्त्रियों व पुरुषों की भूमिका, तो कभी आधुनिक शिक्षा पद्धति पर तीखे सवाल व कटाक्ष का समावेश देखने को मिलता है