24 मार्च को पूरे विश्व में टी. बी दिवस मनाया जाता है। इस दिन टी.बी यानि तपेदिक रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। इसे ‘ट्यूबरकुलोसिस’ के नाम से भी जाना जाता है। दुनियाभर में हर साल करीब सत्रह लाख लोगों की मौत टीबी की वजह से हो जाती है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक टी.बी रिपोर्ट 2022 के मुताबिक साल 2021 में भारत में 21.4 लाख टी.बी के मामले सामने आए थे।बता दें, साल 2021 में भारत में टी.बी के मरीजों की संख्या प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 210 पाई गई। आंकड़ों के अनुसार भारत में रोजाना करीब 800 लोगों की मौत टी.बी से हो जाती है। वहीं करीब 10 फीसदी मामले बच्चों में पाए जाते हैं लेकिन इनमें से केवल 6 फीसदी मामले ही सामने आते हैं। ऐसे में टी.बी का जल्द पता लगाने और उपचार के लिए पूरे देश में 2021 में 22 करोड़ से अधिक लोगों की टी.बी की जांच की गई थी।
2021 में 16 लाख लोगों की टीबी से हुई मौत
बता दें कि साल 2021 में दुनियाभर में टी.बी से कुल 16 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी। इनमें 1,87 000 एचआईवी पीड़ित लोग भी शामिल हैं। दुनियाभर में टी.बी मृत्यु का 13वां और COVID-19 के बाद दूसरा प्रमुख कारण माना जाता है। पूरे विश्व की बात करें तो 2021 में, 30 सबसे अधिक टीबी रोगियों वाले देशों में नए टी.बी मामलों का कुल 87% हिस्सा था। 2015 में विश्व स्तर पर, टी.बी के मामलों में प्रति वर्ष लगभग 2% की कमी दर्ज की गई। वहीं 2020 इनमें 11% की कमी दर्ज की गई थी। साथ ही 2015 से 2020 के बीच 20% की कमी दर्ज की गई।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
याद हो, मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित ‘एंड टीबी समिट’ के दौरान, पीएम मोदी ने निर्धारित समय से पांच साल पहले, 2025 तक टीबी से संबंधित एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत का आह्वान किया था। वहीं अब भारत के नेतृत्व में शुक्रवार, 24 मार्च 2023 को ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ का आयोजन होने जा रहा है। ऐसे में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ इन लक्ष्यों पर और आगे विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा क्योंकि भारत लगातार अपने टीबी उन्मूलन संबंधी उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए यह अपने आप में एक अनोखी मुहिम साबित हो सकती है।
क्या है टीबी ?
तपेदिक यानि टीबी. एक संक्रामक रोग है। 1882 में टीबी पैदा करने वाले कीटाणु की खोज की गई थी। यह रोग बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह अक्सर फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इस बीमारी का इलाज है, बर्शते लोग दवा नियमित रूप से लें। लोग नियमित रूप से दवा खाएं तो टी.बी का रोग 6 महीने में ही ठीक हो सकता है। टीबी को देश से पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प केंद्र सरकार ने रखा है। यही वजह है कि नई स्वास्थ्य नीति में 2025 तक टी.बी का उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज और दवा मुफ्त
टी.बी के इलाज और दवा सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मिलता है। टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। टीबी संक्रमित लोगों को खांसने-छींकने या थूकने से फैलता है। आमतौर पर यह फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन शरीर के किसी भी फैल सकता है। टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, लेकिन दवाओं को पूरे वक्त तक लेना चाहिए। बीच में ही दवा छोड़ने पर टीबी का इलाज पूरे तरीके से नहीं हो पाता है।
टीबी के लक्षण
– तीन हफ्तों से ज्यादा वक्त तक खांसी बने रहे
– सोते समय पसीना आने लगे
– वजन घट जाए
– बुखार रहे और सांस फूलने लगे
टीबी का खतरा
– टीबी संक्रमण का खतरा बच्चों और बुजुर्गों पर
– धूम्रपान के आदि लोगों पर
– एचआईवी संक्रमित लोगों पर
जानें इस वर्ष की थीम
विश्व टीबी दिवस 2023, ‘हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं!’, टीबी महामारी से निपटने के लिए आशा को प्रेरित करना और उच्च-स्तरीय नेतृत्व, निवेश में वृद्धि, नई डब्ल्यूएचओ सिफारिशों को तेजी से आगे बढ़ाना, नवाचारों को अपनाना, त्वरित कार्रवाई और बहुक्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना है।