वट सावित्री व्रत की पूजा आज.. पूजा में शामिल करें ये सामग्री

इस बार वट सावित्री व्रत 29 मई रविवार को रखा जाएगा। हर वर्ष ज्येष्ठ मास के अमावस्या को उत्तर भारत के कई इलाकों में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है । इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं ।  इस दिन वट सावित्री अमावस्या को वट वृक्ष की पूजा की जाती है, लेकिन सोमवती अमावस्या होने के कारण इस बार पीपल के पेड़ का भी पूजन किया जाएगा। महिलाएं पीपल पर श्रृंगार सामग्री अर्पण करते हुए कच्चा सूत लपेटती हैं ।  इससे  सौभाग्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है ।

जानें पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए तो देवी सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की, कि वह उनके पति को पुनः जीवित कर दें । इस पर यमराज ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है, जो व्यक्ति पैदा होता है, वह मरता अवश्य है ।  इसलिए मैं इस नियम का उल्लंघन नहीं कर सकता।  देवी सावित्री ने तप किया । और यमराज से वरदान मांगा । वरदान में देवी सावित्री ने अपने सास ससुर के नेत्र मांगे और राज्य वापस पाने की प्रार्थना की ।  यमराज तथास्तु कहकर फिर आगे बढ़ गए । इस पर देवी सावित्री उनके पीछे पीछे जाने लगी और अपने पति के प्राण वापस मांगे तभी यमराज ने  कहा की प्रकृति का नियम नहीं बदल सकता मैं अपने निर्णय में अटल रहूंगा । तभी सावित्री ने एक और वरदान मांगा जिसमें कहा कि मुझे सौ पुत्र का वरदान दीजिए । इस पर यमराज ने तथास्तु कहा ।  और यमराज जाने लगे तभी  सावित्री ने उन्हें रोकते हुए कहा कि महाराज अगर आप मेरे पति के प्राण लेकर जाएंगे, तो बिना पति के मैं सौ पुत्रों की मां कैसे बनूंगी” । देवी सावित्री की इस बात से प्रभावित होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए और यमराज के वरदान अनुसार, सत्यवान फिर जीवित हो गए।

वट सावित्री में लगने वाली पूजा सामग्री

वट सावित्री की पूजा में लगने वाली प्रमुख सामग्रियां में  सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूता, बांस का पंखा, लाल कलावा, मिट्टी का दीपक, घी, बरगद का फल, मौसमी फल ,  रोली, बताशे, फूल, इत्र, सुपारी, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, धुर्वा घास, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का समान,  नगद रुपए और घर पर बने पकवान जैसे पूड़ियां, मालपुए और मिष्ठान जैसी सामग्रियों का उपयोग व्रत में उपयोगी है ।

तिथि का आरंभ

अमावस्या तिथि का आरंभ रविवार 29 मई दोपहर 02:54 पर होगी और अमावस्या तिथि सोमवार शाम 04:59 पर समाप्त होगी ।