आज 06 जुलाई 2024 है। आज से आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रहीं हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना जाता है। सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़, अश्विन (शारदीय नवरात्रि) मास में होती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सार्वजनिक होती हैं। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
आज से आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ
हिंदू पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ शनिवार 6 जुलाई से शुरू हो रही है। इसका समापन सोमवार 15 जुलाई को होगा। गुप्त नवरात्रि 9 दिन नहीं बल्कि इस बार दस दिनों का है। इस साल तृतीया तिथि दो दिन पड़ रही है। इसलिए आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पूरे 10 दिन पड़ेगी। इस साल आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि में इस बार गुप्त नवरात्रि में माता रानी की सवारी घोड़ा है।
घोड़े पर सवार होकर आएंगी माँ
गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई दिन शनिवार को होने जा रहा है। दिन के हिसाब से माता दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान माता की अलग-अलग सवारियां होती हैं। लेकिन जब नवरात्रि मंगलवार या शनिवार के दिन शुरू होती है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। माना जाता है कि जब मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो गुप्त नवरात्र के प्रथम दिवस पर दुर्लभ पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाएंगे। इस नक्षत्र में ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। अत: इस नक्षत्र में मां दुर्गा की कलश स्थापना करना मंगलदायी होगा।
आषाढ़ नवरात्रि को इसलिए कहा जाता है गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन नौ दिनों में तंत्र साधना करने वाले लोग माँ भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। इस दौरान प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होंगी, फल उतना ही सुखदायी होगा। मान्यता है कि भक्त आषाढ़ नवरात्रि में गुप्त रूप से आदि शक्ति देवी दुर्गा की उपासना करते हैं उनके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है ।
इस तरह करें गुप्त नवरात्रि की पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा-पाठ के साथ कलश स्थापना करने का भी महत्व है। कलश स्थापना के साथ सुबह और संध्या पूजा के समय दुर्गा चालीसा अथवा दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा के दौरान माता को लोंग व बताशे का भोग चढ़ाना चाहिए। इसके साथ कलश स्थापना करते समय मां को लाल पुष्प और चुनरी भी अर्पित करें। इससे माता जल्दी प्रसन्न हो जाती है। और आपके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखती है।
करें इन नौ देवियों की पूजा
ज्योतिषविदों के अनुसार देवी मां काली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, देवी कमला आदि शक्तियों की पूजा गुप्त नवरात्र में की जाती है। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण मां कुष्मांडा की दो दिन 9 और 10 जुलाई को पूजा-आराधना की जाएगी।
जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त 06 जुलाई को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना की अवधि 56 मिनट है।