कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है । हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान धन्वंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे। साथ ही त्रयोदशी के दिन ही आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि जी की जयंती भी मनाई जाती है। इस साल 10 नवंबर को धनतेरस है। दीपावाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है । इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, धन्वंतरि जी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन पूजा के साथ बर्तन आदि खरीदने का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन विशेष रूप से वाहन, घर, सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े, धनिया, झाडू खरीदने का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, जमीन की खरीदने से इनमें बढ़ोतरी होती है।
जाने क्यों की जाती है धनवंतरि की पूजा
ऐसी मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था तब सागर की अतल गहराइयों से चौदह रत्न निकले थे । धनवंतरि इन्हीं रत्नों मे से एक हैं । जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब 13 रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 14वें रत्न के रूप में धनवंतरि सामने आए । वो अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे । धनवंतरि के प्रकट होते ही देवताओं और दानवों का झगड़ा शुरू हो गया । अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई । लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर अमृत कलश हासिल कर लिया। धनवंतरि अमृत यानी जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुए थे और आयुर्वेद के जानकार भी थे, इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है । वैसे तो धन और दौलत की देवी लक्ष्मी देती हैं लेकिन उनकी कृपा पाने के लिए सेहत और लंबी आयु की जरूरत होती है । यही वजह है कि धनतेरस के मौके पर धनवंतरि की पूजा की जाती है । धनवंतरि देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं । इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । माना जाता है कि अगर धनतेरस की शाम में आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाया जाए तो तो अकाल मृत्यु का भय मिटता है । वहीँ कुछ जानकारों का कहना है कि अगर धनतेरस के दिन महामृत्युंजय और नारायण मंत्र को सिद्ध कर लिया जाए तो विपत्तियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।
शुभ मुहर्त
धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
ऐसे करें पूजा
धनतेरस के सुअवसर पर भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए उनकी तस्वीर पूर्व में स्थापित करें। इस दौरान भगवान कुबेर का जाप करें। हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन कर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें। तस्वीर पर रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कालवा, धूप और दीप अर्पित करें।