17 जुलाई को विश्व अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है, ये दिन उन सभी को एकजुट और जागरूक करने का है, जो न्याय का समर्थन करना चाहते हैं, पीड़ितों के अधिकारों को बढ़ावा देते हैं, साथ ही ऐसे अपराध को रोकने में मदद करते हैं जो दुनिया की शांति, सुरक्षा और भलाई के लिए खतरा है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय को बढ़ावा देना तथा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के कार्य का समर्थन करना है। उन सभी लोगों को एकत्रित करना है जो न्याय और पीड़ित के अधिकारों का समर्थन करते हैं।
17 जुलाई को क्यों मनाते हैं विश्व अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की स्थापना 1 जुलाई 2002 की गई। इस तिथि का महत्व इसलिए था क्योंकि 1 जुलाई को ही अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की रोम संविधि को लागू किया गया था। इसके बाद 1 जून 2010 को कंपाला (युगांडा) में आयोजित रोम का सविंधान की समीक्षा सम्मेलन में 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्याय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।
क्या है अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)
यह पहला स्थायी और स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय न्यायिक संस्थान है जहां अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानव अधिकारों के सबसे गंभीर उल्लंघन के केस जाते है। ICC के अंतर्गत चार प्रकार के अपराधों नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध, अतिक्रमण के अपराध के केस आते हैं। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय यानी ICJ संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा है, जबकि ICC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और आईसीसी के संबंध एक अलग समझौते द्वारा शासित हैं। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि ICJ संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है, जो मुख्य रूप से राष्ट्रों के बीच विवादों पर सुनवाई करता है। जबकि ICC व्यक्ति विशेष पर चलाये जाने वाले मुकदमों की सुनवाई करता है। इसका अधिकार क्षेत्र किसी सदस्य राज्य में हुए अपराध या ऐसे राज्य के किसी नागरिक द्वारा किये गए अपराधों तक विस्तारित है।
न्यायालय के सदस्य
अब तक, 123 देश इस न्यायालय के सदस्य हैं। इसके अलावा 34 अन्य देशों ने, जिसमें रूस और अमेरिका भी शामिल हैं हस्ताक्षर तो किए हैं, लेकिन रोम संविधि का अनुसमर्थन नहीं किया है। चीन और भारत समेत ऐसे कई देश हैं जिन्होंने न्यायालय की आलोचना की है और रोम संविधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। यह अपने अधिकार-क्षेत्र का प्रयोग तभी कर सकता है जब राष्ट्रीय अदालत ऐसे मामलों की जांच करने या मुकदमा चलाने में असमर्थ या अनिच्छुक हों। जांच और दंड देने के लिए प्राथमिक जिम्मेदारी सदस्य देश पर छोड़ दी जाती है।