उत्तराखंड की पावन भूमि को दर्शनीय स्थलों का खजाना माना जाता है। प्रकृति ने इन स्थलों की ऐसी रचना की है, कि मनुष्य करोड़ों रुपया खर्च करके भी ऐसे स्थलों का निर्माण नहीं कर सकता है। उत्तराखंड को देवभूमि कहे जाने के पीछे जो भी कारण रहे हो, लेकिन यह सच है कि यहां के लोगों को अभी भी दैवी शक्तियों पर पूर्ण विश्वास एवं आस्था है। यहां पर सभी देवी देवताओं तथा लोक देवताओं को पूरे धार्मिक सम्मान के साथ पूजा जाता है। यहां पर ऊंची चोटियों में चारों ओर मां भगवती के मंदिर स्थापित हैं तो नदियों के तटों संगम पर भगवान शिव के मंदिरों की लंबी श्रंखला है। यही नहीं लोक देवता भी यहां हर गांव में वास करते हैं।
विमलकोट पहाड़ी में स्थित है शक्तिपीठ मां भगवती देवी का मंदिर-
ऐसा ही एक ऐतिहासिक मंदिर अल्मोड़ा जिले के धौलछीना कस्बे से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर संकुलाकार पहाड़ी पर शक्तिपीठ स्थापित है। ब्लॉक मुख्यालय धौलछीना से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर विमलकोट पहाड़ी में स्थित शक्तिपीठ मां भगवती देवी को न्याय की देवी के रूप में जाना जाता है। अटूट आस्था का यह केंद्र सैकड़ों वर्ष पुराना है। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर धौलछीना से मंदिर तक जाने के लिए 3 किमी कच्चा मार्ग है। इसके बाद 1 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर पहुंचा जाता है।
मंदिर के प्रांगण से दिखती है हिमालय की लंबी श्रंखला-
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां से हिम शिखरों का विहंगम दृश्य तो दिखाई ही देता है, साथ ही मंदिर के चारों ओर की पहाड़ियों में बाज, बुरास, देवदार काफल, उतीस के घने जंगल दृष्टिगोचर होते हैं। लगभग 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर के प्रांगण से हिमालय की लंबी श्रंखला दिखाई देती है। जो श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों को भी बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है।
श्रद्धालुओं का हमेंशा रहता है आवागमन-
मंदिर में वर्ष भर धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा शादी विवाह जैसे आयोजन भी होते रहते हैं, जिस कारण यहां श्रद्धालुओं का आवागमन हमेशा बना रहता है।
मंदिर की चोटी से होते हैं कई आध्यात्मिक स्थलों के दर्शन-
मां विमल कोट मंदिर की चोटी से नंदादेवी,त्रिशूल, चौखंबा, पंचाचुली, नीलकंठ, नंदाधुरी, नंदा खाट, धौलीगिरी, आदि पर्वत शिखर तथा चौकोड़ी, कसार देवी, वृद्ध जागेश्वर, देवीधुरा बानरी देबी तथा लमकेश्वर मंदिर समय कई आध्यात्मिक स्थलों के दर्शन होते हैं।
नवरात्रि तथा नए वर्ष के पहले दिन लगता है धार्मिक मेला-
नवरात्रि तथा नए वर्ष के पहले दिन विमल कोट मंदिर में हर वर्ष विशाल धार्मिक मेला तथा भंडारे का आयोजन होता है। जिसमें देसी विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। मंदिर कमेटी के व्यवस्थापक दरवान सिंह रावत ने बताया कि इस वर्ष भी विगत वर्ष की भांति 1 जनवरी को मंदिर में भजन कीर्तन एवं मंदिर में आने वाले सभी दर्शनार्थियों को भंडारे व मिष्ठान वितरण व प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा।