सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की बाल मिठाई, जिसे उत्तराखंड की चॉकलेट के नाम से भी जाना जाता है । इसकी मिठास इतनी लाजवाब है कि यह पर्यटकों और स्थानीय लोगों की फेवरेट बन गयी है । अल्मोड़ा की बाल मिठाई को मिठाई घरों की शान के रूप में जाना जाता है । यह अल्मोड़ा की संस्कृति को उजागर करती है । अगर कोई पहाड़ से मैदानी इलाकों की तरफ जाए तो वहां से पहले ही बाल मिठाई तो लेते ही आना, का संदेश आ जाता है । लेकिन कोरोना काल के चलते बाल मिठाई निर्माताओं को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है ।
कोरोना के चलते आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है
अपनी मिठास के लिए विश्वभर में प्रसिद्द अल्मोड़ा की बाल मिठाई का कारोबार कोरोना के चलते ठप हो गया है । जिलेभर में समस्त कारोबारियों को इस सीज़न में तक़रीबन रू० 5 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया है । नुकसान के चलते 500 से अधिक परिवार के लोगों के सामनें रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है । कोरोना के कारण व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है ।
5 करोड़ का नुकसान
जिला मिष्ठान संघ के अध्यक्ष मनोज सिंह पवार ने बताया कि कोरोना काल के कारण जिलेभर में 220 से अधिक व्यापारियों को केवल मई और जून माह में लगभग 5 करोड़ का नुकसान हुआ है जबकि 2020 में 6 करोड़ के आस -पास का नुकसान हुआ था । उन्होंने कहा कि मिष्ठान विक्रेताओं व्यापारियों के साथ -साथ प्रतिष्ठान में कार्यरत लगभग 700-800 (परिवारों) कर्मचारीयों को भी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है ।
मिष्ठान विक्रेताओं की जिलाधिकारी से रोजाना दुकान खोले जाने की अपील
अल्मोड़ा जिले के समस्त मिष्ठान विक्रेता जिलाधिकारी महोदय से रोजाना दुकान खोले जाने की अपील कर रहे हैं क्योंकि कच्चे माल से रोजाना सामग्री तभी बन सकती है जब दुकान रोज खोली जाए, एक दिन दुकान खोलकर और एक दिन बंद रख कर काम नहीं चलाया जा सकता है । यदि काम रोजाना निरन्तर गति से चले तभी समाग्री का निर्माण हो सकता है , समस्त मिष्ठान व्यापारियों का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन्स के साथ दुकान खोले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे की व्यापारियों के साथ-साथ अन्य जुड़े कर्मचारी भी अपनी घर की वित्तीय अर्थव्यवस्था को चलाने में सक्षम हो सके ।