सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एसई आरबी-डी एस टी के वित्तीय सहयोग से दो दिवसीय प्रोस्पेक्टिव्स ऑफ प्लांट बेस्ड वैदिक एंड कल्चरल प्रैक्टिस ऑफ इंडियन हिमालयन रीजन इन ह्यूमन एंड एनवायर्नमेंटल हेल्थ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन विभिन्न सत्रो के संचालन के साथ समापन सत्र आयोजित किया गया।
समापन सत्र की अध्यक्षता शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रो. जे.एस.बिष्ट, अतिथि रूप में कुलसचिव डॉ देवेन्द्र सिंह बिष्ट, अतिथि रूप में प्रोफेसर जीवन सिंह रावत (वैज्ञानिक, डीएसटी), अधिष्ठाता वित्त/बजट प्रो के सी जोशी, प्रो.रुबीना अमान, संयोजक डॉ. बलवंत कुमार, डॉ. धनी आर्य अतिथि रूप में शामिल हुए।
हमें पर्यावरण एवं संस्कृति से जुड़ने का मौका मिला है
प्रो.जीवन सिंह रावत (डीएसटी,वैज्ञानिक) ने कहा कि विद्यार्थी यहां के परंपरागत ज्ञान को आगे ले जाएं। यहां की संस्कृति को आगे ले जाने का प्रयास करें।
प्रो के सी जोशी (डीन वित्त/बजट) ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र चिकित्सकीय पौधों से समृद्ध है। इनको आगे ले जाने का प्रयास करें।
प्रो रुबीना अमान ने वनस्पति विज्ञान विभाग के कार्यक्रमों की सराहना की।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि
वनस्पति विज्ञान विभाग ने वैदिक विज्ञान को सामने लाने का प्रयास किया है। हमें पर्यावरण एवं संस्कृति से जुड़ने का मौका मिला है।
उत्तराखंड के औषधीय पौधों पर अपनी बात रखी
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रो.जगत सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड के औषधीय पौधों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोक में परंपरागत पौधों का बहुत महत्व है। लोक में पर्यावरण बहुत महत्वपूर्ण विषय रहा है। हमारे आसपास वनस्पतियों का संसार है। जो पर्यावरण के संतुलन को बने3 रखते हैं। लोकगीतों में पर्यावरण के संरक्षण, वनों के रोपण की बात की गई है। हमें इन पौधों के संरक्षण के लिए प्रयास करने होंगे। वनस्पति विज्ञान विभाग का सराहनीय प्रयास रहा है।
दो दिवसीय सेमिनार में 92 शोधार्थियों के शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण हुआ
सेमिनार के संयोजक डॉ. बलवंत कुमार ने सेमिनार का निष्कर्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान को माननीय कुलपति प्रो.नरेंद्र सिंह भंडारी के निर्देशन में प्राचीन वैदिक संस्कृति के अनुरूप विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय सेमिनार में 92 शोधार्थियों के शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण हुआ। शोध पत्रों के प्रस्तुतिकरण के लिए
तीन सत्र संचालित किये गए। इन सत्रों के पहले पैनल में डॉ अनिल कुमार यादव (अध्यक्षता), डॉ मनमोहन कनवाल और बृजेश कुमार आगरी (ई मैप) सदस्य रहे। दूसरे सत्र में डॉ देवेंद्र सिंह धामी (अध्यक्षता), डॉ सुभाष चंद्र (सदस्य), डॉ मोहम्मद आशिफ़ (CCRASp, रानीखेत) सदस्य रहे। तीसरा सत्र पोस्टर प्रस्तुतिकरण का रहा। इस सत्र में डीएसटी चेयर प्रो.जे.एस. रावत (बाह्य परीक्षक) एवं प्रो रुबीना अमान (आंतरिक परीक्षक) रहे। उन्होंने समस्त पोस्टर प्रतिभागियों के पोस्टरों का परीक्षण किया।
पोस्टर सत्र में कुल 18 पोस्टर प्रस्तुतिकरण शोधार्थियों द्वारा दिये गए
दो दिवसीय सेमिनार में वैज्ञानिकों, शोधार्थियों के द्वारा दिये गए प्रस्तुतिकरण पर उत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण के लिए चार अनुसंधाताओं को चुना गया। जिसमें प्रथम स्थान पर डॉ.उमंग, द्वितीय स्थान पर डॉ.आदित्य जोशी, तृतीय स्थान पर सुश्री प्राची जोशी एवं डॉ विजय आर्या शामिल थे।
पोस्टर सत्र में कुल 18 पोस्टर प्रस्तुतिकरण शोधार्थियों द्वारा दिये गए। जिसमें अव्वल आये तीन प्रतिभागियों टीम अशोका (प्रथम), फिकेस बेंगलिसिस टीम (द्वितीय), सीक्रेट प्लांट्स टीम (तृतीय) को चुना गया।
शोधार्थियों के प्रस्तुतिकरण में दिशा तिवारी (प्रथम), नेहा थपलियाल (द्वितीय), पूजा मेहता (तृतीय) स्थान पर चुने गए।
वनस्पति विज्ञान विभाग में संचालित हुए पहले सत्र में प्रो अनिल कुमार यादव, दूसरे सत्र में अध्यक्षता डॉ देवेंद्र धामी, तीसरे सत्र में अध्यक्षता प्रो जीवन सिंह रावत (जी इस टी, चेयर) थे।
इन केंद्रित शोध के आलेख पढ़े
अलग अलग संचालित हुए इन सत्रों में शोधार्थियों ने कोविड 19 में घरेलू उपचार की भूमिका, प्राकृतिक एवं घरेलू नुस्खे, इकोलॉजी कंजर्वेशन ऑफ बायोडायवर्सिटी, इन्वायरमेंट द वेदिक पर्सपेक्टिव, रोल ऑफ मशीन लर्निंग इन रिकॉग्निशन आफ इम्यूनिटी बूस्टिंग मेडिसिनल प्लांट, यूटिलाइजेशन ऑफ मेडिशनल प्लांट, सोशल-इकोनामिक एंड हेल्थ स्टेटस ऑफ वूमेन, उत्तराखंड हिमालयन मेडिसिनल प्लांट्स, रोल ऑफ प्लांट्स, परंपरागत ज्ञान, मेडिसिनल प्लांट,नॉलेज ऑफ मेडिसिनल प्लांट, यूटिलाइजेशन ऑफ मेडिसिनल प्लांट्स,कोविड-19 महामारी के उपचार हेतु घरेलू नुस्खे, घरेलू उपचार की भूमिका आदि पर केंद्रित शोध आलेख पढ़े। साथ ही इन सभी सत्रों में शोधार्थियों ने विशेषज्ञों के माध्यम से अपनी जिज्ञासा को शांत करने वाले प्रश्नों का उत्तर प्राप्त किया गया। इसके उपरांत सेमिनार का समापन सत्र आयोजित किया गया।
सेमिनार से पूर्व विभाग में द्वार हवन किया गया
सेमिनार से पूर्व विभाग में द्वार हवन किया गया।
हवन आयोजन में अधिष्ठाता प्रशासन प्रो.प्रवीण सिंह बिष्ट, विभागाध्यक्ष डॉ. बलवंत कुमार, आयोजक सचिव डॉ धनी आर्य, संयुक्त सचिव डॉ सुभाष चंद्र, डॉ.मनीष त्रिपाठी, डॉ रवींद्र के साथ रितिका टम्टा, भावना पांडे, पूजा नेगी, हितेश आदि ने सहयोग किया।विभाग की छात्राओं ने कुमाउनी वेश भूषा में अतिथियों का स्वागत किया।
सेमिनार के विभिन्न सत्रों में डॉ मंजुलता उपाध्याय, डॉ देवेंद्र सिंह धामी, डॉ प्रज्ञा वर्मा, डॉ मनमोहन कनवाल, विपिन सुयाल और रितिका टम्टा ने सहयोग किया। विशिष्ट सहयोग के लिए विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ.ललित चन्द्र जोशी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संचालन सेमिनार संयोजक डॉ बलवंत कुमार ने और आयोजक सचिव डॉ धनी आर्य ने आभार जताते हुए कहा कि वनस्पति विज्ञान विभाग अपने वैदिक ज्ञान को बाहर लाने में हमेशा प्रयास कर रहा है।
समापन अवसर पर समस्त प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रस्तुतिकरण के लिए प्रमाण पत्र दिए गए।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर आयोजक सचिव डॉ. धनी आर्या (वनस्पति विज्ञान), प्रोफेसर जीवन सिंह रावत (वैज्ञानिक, डीएसटी), अधिष्ठाता वित्त/बजट प्रो के सी जोशी, प्रो रुबीना अमान, डॉ. सुभाष चंद्र,डॉ. मनुहार आर्य, डॉ आदित्य मौर्य, डॉ. मंजुलता उपाध्याय, डॉ.पारुल सक्सेना, डॉ. डी. एस. धामी (रसायन विभाग), डॉ. मनीष त्रिपाठी, डॉ. रविन्द्र कुमार,
श्री प्रमोद भट्ट, श्री नंदा बल्लभ सनवाल श्री रमेश चंद्र, , श्री सुनील कुमार,सतीश आदि सहित वनस्पति विज्ञान के समस्त विद्यार्थी, शोधार्थी एवं एमएससी के विद्यार्थी शामिल हुए।