हिंदी विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की 141 वीं जयंती अवसर पर ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रेमचंद का साहित्य‘ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डाॅ0 सिद्धेश्वर सिंह, मुख्य अतिथि प्रो0 देव सिंह पोखरिया, अध्यक्ष डाॅ0 प्रीति आर्या, संयोजक डाॅ0 तेजपाल सिंह ने इस वर्चुअल गोष्ठी का उद्घाटन किया।
गोष्ठी का शुभारंभ एनसीसी 24 बटालियन की कैडेट नेहा साह और उनके साथियों ने सरस्वती वंदना के साथ किया।
प्रेमचंद के साहित्य में समाज का यथार्थ चित्रण हमें देखने को मिलता है
गोष्ठी की रूपरेखा रखते हुए संयोजक डाॅ0 तेजपाल सिंह ने कहा कि कथा-सम्राट प्रेमचंद के साहित्य में समाज का यथार्थ चित्रण हमें देखने को मिलता है। पे्रमचंद के दौर में जो समस्याएं हमें पात्रों के माध्यम से दिखाई दी हैं, आज भी वैसी ही समस्याएं समाज में व्याप्त हैं। हमें प्रेमचंद की भांति रचनाएं लिखनी होंगी।
डाॅ0 गीता खोलिया ने अतिथियों का स्वागत कर प्रेमचंद के संबंध में बात रखी।
प्रेमचंद का साहित्य समाज का दर्पण है
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में राजकीय महाविद्यालय, अमोड़ी के डाॅ0 सिद्धेश्वर सिंह ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य समाज का दर्पण है। समाज को समझने के लिए उनके साहित्य को पढ़ा जाना आज भी प्रासंगिक है।
साहित्य में समाज का यथार्थ प्रकट हुआ है
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो0 देवसिंह पोखरिया ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने पात्रों के माध्यम से समाज का सजीव वर्णन किया है। साहित्य में समाज का यथार्थ प्रकट हुआ है।
उनका साहित्य, तत्कालीन समाज से हमें परिचित करवाता है
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डाॅ0 प्रीति आर्या ने कहा कि प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। उनका साहित्य, तत्कालीन समाज से हमें परिचित करवाता है। हमने उस समाज की स्थिति के दर्शन कराता है। आज के समय में भी उनके पात्र और उनके द्वारा उठाए गए विषय प्रासंगिक बने हुए हैं।
साहित्य पर प्रकाश डाला, यह लोग रहे मौजूद
इस वेबिनार में डाॅ0 माया गोला, डाॅ0 ममता पंत, प्रो0 अनिल जोशी, डाॅ0 प्रकाश भट्ट, डाॅ0 नीमा राणा, शोध छात्रा कविता कोठारी, पूनम रानी ने भी प्रेमचंद के साहित्य पर प्रकाश डाला।
गोष्ठी में हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य स्व0 प्रो0 शेर सिंह बिष्ट जी का भावपूर्ण स्मरण किया गया।
गोष्ठी का संचालन डाॅ0 तेजपाल सिंह ने किया। इस गोष्ठी में कई प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।