अल्मोड़ा: उत्तराखंड लोक वाहिनी ने पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा के जन्म दिन पर दी उन्हें श्रद्धान्जलीं

अल्मोड़ा: विश्व प्रसिद्ध चिपकों आन्दोलन  के नेता सुन्दरलाल बहुगुणा को उनके जन्म दिवस पर उत्तराखण्ड लोकवाहिनी ने श्रद्धान्जली दी एड जगत रौतेला की अध्यक्षता में आयोजित संवाद मे वक्ताओं ने कहा कि 80 के दशक मे सुन्दर लाल बहुगुणा के नेतृत्व मे सैकड़े युवा आन्दोलन मे कूद पड़े कुमाऊ से उत्तराखंड जन संघर्ष वाहिनी ने डा शमशेर सिंह बिष्ट के नेतृत्व में इस आन्दोलन मे भागीदारी की ।

गढ़वाल के ‘मरोडा’ नामक स्थान पर हुआ जन्म

सुन्दर लाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन् 1927 को गढ़वाल के ‘मरोडा’ नामक स्थान पर हुआ। अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की । सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना की । दलितों को मन्दिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया। जो काफी चर्चित आन्देलनों मे से एक था।अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। कालांतर मे वे चिपको आन्दोलन के कारण विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
बहुगुणा के ‘चिपको आन्दोलन’ का घोषवाक्य है-क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार।

जीवन मे पेड़ों को काटने की अपेक्षा पेड़ो को लगाने का आह्वान करते रहे

सुन्दरलाल बहुगुणा अपने जीवन मे पेड़ों को काटने की अपेक्षा पेड़ो को लगाने का आह्वान करते रहे ।  बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेण्ड ऑफ़ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

टिहरी बांध के खिलाफ संघर्ष करते रहे

सुन्दर लाल बहुगुणा टिहरी बांध के खिलाफ संघर्ष करते रहे। इस संघर्ष मे देश भर के शिक्षाविद् सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुये । 

इतने लोगों ने की भागीदारी

इलाहाबाद से बनवारी लाल शर्मा , पूर्व आदिवासी कमिशनर भारत सरकार ब्रह्मदेव शर्मा , डा शमशेर सिह बिष्ट , अल्मोडा से दयाकृष्ण काण्डपाल, पूरन चन्द्र तिवारी ने भी डूबती टिहरी को बचाने के प्रयाशों मे उनके साथ संघर्षों मे भागीदारी की । वर्चुअल संवाद  का संचालन पूरन चन्द्र तिवारी ने किया । संवाद मे रेवती बिष्ट, दयाकृष्ण काण्डपाल , अजय मित्र सिह बिष्ट , जंगबहादुर थापा , कुणाल तिवारी, अजय मेहता ,कुंदन सिंह, बिशन दत्त जोशी आदि ने भागीदारी की ।