अल्मोड़ा: प्रकृति में असंतुलन होने की वजह से हम प्रकृति के बदलते हुए स्वरूप को देख रहे हैं- डॉ. इला बिष्ट

उत्तराखंड सेन्टर फ़ॉर क्लाइमेट चेंज, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,कैंपस अल्मोड़ा और यूसर्क के संयुक्त तत्वावधान में गणित विभाग के सभागार में ‘ क्लाइमेट चेंज (स्पेशल फोकस ऑन हिमालयन एनवायरनमेंट विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित हुआ। इस सेमिनार में अध्यक्ष रूप में अधिष्ठाता प्रशासन प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, बीज वक्ता के रूप में गोविंद बल्लभ पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट, कोसी कटारमल के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. जे सी कुनियाल,  वक्ता रूप में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑफ़ एनआरडीएमएस इन उत्तराखंड के पूर्व निदेशक डॉ. जीवन सिंह रावत,  प्रभारी कुलसचिव डॉ. इला बिष्ट,  संकायाध्यक्ष,कला प्रो. जया उप्रेती, आमंत्रित वक्ता रूप में एरीज, नैनीताल के वैज्ञानिक-डी डॉ. नरेंद्र सिंह, सेमिनार संयोजक तथा उत्तराखंड जलवायु परिवर्तन केंद्र के संयोजक डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, डॉ. रवींद्र नाथ पाठक, डॉ. तिलक जोशी, कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत, डॉ. देवेंद्र सिंह धामी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज के बारे में विस्तार से बात रखी

आयोजकों द्वारा अतिथियों का बेज लगाकर, प्रतीक चिन्ह देकर और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित एवं स्वागत किया गया।आयोजक सचिव इंजीनियर रवींद्रनाथ पाठक एवं डॉ तिलक जोशी ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का संचालन  किया। सेमिनार के संयोजक डॉ नंदन सिंह बिष्ट ने सेमिनार के मूल उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने  सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज के बारे में विस्तार से बात रखी। डॉ बिष्टने कहा कि यह सेंटर पर्यावरण  को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। पर्यावरण परिवर्तन पर बात रखते हुए कहा कि पर्यावरण परिवर्तन आज एक गंभीर विषय बना हुआ है। ऐसे में उत्तराखंड में भी पर्यावरण का क्षरण हो रहा है। हमें ऐसे गंभीर विषय पर चिंतन कर निदान खोजना होगा। अध्यक्षता करते हुए प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंतन का एक गंभीर विषय है। हम प्रकृति से उतना ही लें, जो आगामी पीढ़ी के लिए बचा रहे। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रति सभी को सचेत किया।

प्रकृति में असंतुलन होने की वजह से हम प्रकृति के बदलते हुए स्वरूप को देख रहे हैं

विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. जया उप्रेती ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पर्यावरण परिवर्तन पर  बात रखते हुए कहा कि एक गंभीर विषय पर इस सेमिनार में बात रखी जायेगी। विद्यार्थी इस गंभीर विषय को सुनें और पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आएं। प्रभारी कुलसचिव के रूप में डॉ. इला बिष्ट ने कहा कि प्रकृति में असंतुलन होने की वजह से हम प्रकृति के बदलते हुए स्वरूप को देख रहे हैं। हमें ऐसे गंभीर विषय पर ध्यान देना होगा। 

भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए हम सभी को करने होंगे प्रयास

बीज वक्ता के रूप में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.जे सी कुनियाल ने एयरोसोल, रेडिएटिव फोरसिंग एंड क्लाइमेट चेंज इन द नॉर्थ ईस्टर्न इंडियन हिमालया, इंडिया विषय पर प्रस्तुतिकरण देते हुए पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने  एयरोसोल अध्ययन के उपकरणों, ब्लैक कार्बन आदि पर चिंतन प्रस्तुत किया। वक्ता रूप में प्रो. जीवन सिंह रावत ने हिमालय की नदियों, गैर हिमानी नदियों, कोसी एवं सरयू नदी से संबंधित अध्ययन पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लगातार बदलने से नदियों का जल स्तर कम हो रहा है, नदियां सूख रही हैं। ऐसे में हम सभी को इस गंभीर समस्या पर चिंतन करना होगा। उन्होंने कहा कि भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे।

वैज्ञानिकों के संरक्षण में पर्यावरण को लेकर अध्ययन कार्य किये जाएंगे

उद्घाटन सत्र के पश्चात तीन तकनीकी सत्रों का सन्चालन हुआ।  प्रथम तकनीकी सत्र में कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत अध्यक्षता की। उन्होंने बीज वक्ता डॉ. जी सी कुनियाल का स्वागत करते हुए कहा कि भविष्य में ऐसे वैज्ञानिकों के संरक्षण में पर्यावरण को लेकर अध्ययन कार्य किये जाएंगे। विद्यार्थियों को ऐसी गंभीर संगोष्ठियों नें प्रतिभाग करना चाहिए। डॉ. मौर्या ने द्वितीय सत्र की अध्यक्षता की।  उन्होंने वैज्ञानिक प्रो. जे.एस रावत के हिमानी, गैर हिमानी, नदियों के सूखने आदि को लेकर किये अपने शोध की सराहना की।  इसके साथ ही तृतीय सत्र की अध्यक्षता डॉ देवेंद्र धामी द्वारा की गई।

सेमिनार में डॉ देवेंद्र सिंह परिहार ने उत्तराखंड की गोरी गंगा के संबंध में बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की कई झीलों एवं ग्लेशियर पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ा है। सेमिनार के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट एवं यू-सर्क, उत्तराखंड की निदेशक  प्रो. अनीता रावत ने आयोजकों को अपनी शुभकामनाएं दी।

सेमिनार में उपस्थित रहे

सेमिनार में  सदस्य रुप में डॉ.मुकेश सामंत, डॉ. देवेंद्र सिंह धामी, डॉ. रामचन्द्र मौर्या, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. इला साह, डॉ. विपिन तिवारी, डॉ. धनी आर्या,  प्रो. निर्मला पंत,  प्रो. ए के यादव, डॉ. सुशील भट्ट, डॉ. विभाष मिश्रा, डॉ. अर्पिता जोशी, डॉ. प्राची जोशी, डॉ. ललित जोशी,डॉ.अरविंद यादव, डॉ. प्रमेश टम्टा, डॉ. अरविंद, जयवीर सिंह, भीम सिंह, देवेंद्र धामी, नंदन जड़ौत, राकेश साह सहित परिसर के सैकड़ों छात्र, शिक्षक,शोधार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।