अल्मोड़ा: उत्तराखंड के जननायक डॉ शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुई वेबनार


उत्तराखंड के जननायक डॉ शमशेर सिंह बिष्ट की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर एक वेबनार आयोजित किया गया। जिसका विषय डॉ.शमशेर सिंह बिष्ट का जल, जंगल, जमीन का संघर्ष और वर्तमान परिदृश्य में उसकी महत्वता रहा।

भू कानून के इतिहास पर रखी बात-

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से चारु तिवारी ने अपने संबोधन में भू कानून का इतिहास विस्तृत रूप से वेबनार में रखा। उन्होंने 1823 बंदोबस्त, 180 साल से लेकर 2020 तक सभी नियमों और कानून  को विस्तृत रूप से बताया । उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तराखंड के 5400000 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में 34 लाख हेक्टेयर वन भूमि है 1000000 हेक्टेयर बंजर भूमि 750000 आमजन के पास है । वेबनार में तरुण जोशी (भीमताल) ने विस्तार से भूमि कानून के व्यवहारिक जटिलताओं को सरलता से बताया । उन्होंने बताया कि पूरे उत्तराखंड में 2 जिलों हरिद्वार और उधम सिंह नगर को मिलाकर 50% कृषि योग्य भूमि है जबकि उत्तरकाशी क्षेत्र में 3.5% और  अन्य जिलों को मिलाकर 4% ही कृषि योग्य भूमि उत्तराखंड में उपलब्ध है, उन्होंने 1965 के भू कानून से लेकर वन अधिकार अधिनियम 2006 से लेकर 2020 तक के समस्याओं को और निदान का रास्ता बखूबी से बताया।

डा. शमशेर सिंह बिष्ट को दी श्रद्धांजलि-

वेबनार में तीसरे वक्ता के रूप में डॉ रवि चोपड़ा पूर्व निदेशक लोक विज्ञान संस्थान देहरादून ने अपने संबोधन में डॉ शमशेर सिंह बिष्ट के साथ किए कार्यों को सभी के सामने रखा उन्होंने बताया कि कैसे डा.बिष्ट के साथ मिलकर उन्होंने लघु विद्युत परियोजनाओं का खाका तैयार किया जिससे कि आमजन को रोजगार भी मिल पाता और साथ ही यहां के संसाधनों पर यहां के लोगों का ही हक होता। चार धाम योजना के बारे में बोलते हुए डॉक्टर चोपड़ा ने कहा यह विकास नहीं विनाश का रास्ता नजर आता है, माननीय उच्चतम न्यायालय का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में रोड़ की चौड़ाई अधिकतम 7 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।कार्यक्रम में एक जन आंदोलन को तैयार कर पहाड़ को बचाने की भावी रणनीति बनाने पर बल दिया गया। कार्यक्रम का संचालन अजयमित्र सिंह बिष्ट ने किया। अंत में रेवती बिष्ट ने सभी का आभार और धन्यवाद जताया और डा. शमशेर सिंह बिष्ट के साथ ही गिरीश तिवारी” गिर्दा”, स्वामी अग्निवेश और उन तमाम साथियों को श्रद्धांजलि और श्रद्धा सुमन अर्पित करें जिन्हें हमने खो दिया है।

इन लोगों ने लिया भाग-

वेबीनार में डा. शेखर पाठक, विनोद बडोनी, स्वप्निल श्रीवास्तव , पूरन चंद्र तिवारी,चंदन घुघतियाल, राजीव लोचन साह, जगत रौतेला ,दयाकृष्ण कांडपाल, अजय सिंह मेहता आदि लोगो ने भाग लिया ।