विहान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था अल्मोड़ा द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर दिनांक 9 अगस्त 2021 को रैमजे स्कूल के मुख्य सभागार में नाटक अलख की प्रस्तुति की गई नाटक अलख मैं संस्था के कलाकारों द्वारा बताया गया कि आजादी की मशाल धीरे-धीरे पूरे देश में जलने लगी थी कोई भी इससे अछूता नहीं रहा कुमाऊं में भी यह मशाल भड़क उठे कूमाओ के वीरों ने आजादी के लिए एक के बाद एक कांडों को अंजाम देना शुरू कर दिया
हकीमो के लिए दूध दही घी चावल सब्जी तथा घोड़ों के लिए घास बिना मूल्य के देनी होती थी
कुमाऊं में कुली बिगारी प्रथा का स्मरण करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं यह प्रथा पर्वती जनता के लिए कष्ट प्रद थी कुमाऊ के अंग्रेज कालीन अधिकारी कहते थे कि प्रथा ब्रिटिश लोक सभा द्वारा माननीय अतः इसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती वास्तव में यह बात मनगढ़ंत ही पार्लियामेंट में घोषित किया था कि कुली बेगार प्रथा नहीं है कुली बेगारयो को अधिकारियों का समान ढोना होता था हकीमो के लिए दूध दही घी चावल सब्जी तथा घोड़ों के लिए घास बिना मूल्य के देनी होती थी इलाके के थोकदार अथवा ग्राम प्रधानों के पास कुली बेगारी रजिस्टर होता जिसमें गांव के बालिक पुरुषों की नामावली होती इसी के विरोध में बद्री दत्त पांडे विक्टर मोहन जोशी चिरंजीलाल साह द्वारा मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर बागेश्वर में एक सभा कर कुली बिगारी का अंत किया गया प्रथा के अंत के बाद में स्वतंत्र आंदोलन ने मानो गति पकड़ ली सर 1929 में महात्मा गांधी जी का आगमन प्रेम विद्यालय तारीखेत में हुआ गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के लिए युवाओं महिलाओं और बच्चों को संबोधित किया गया इसके बाद सन् 1930 में राष्ट्रीय आंदोलन प्रचंड रूप से चल रहा था अल्मोड़ा में दिनांक 25 मई 1930 को नगरपालिका अल्मोड़ा बोर्ड अल्मोड़ा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया लेकिन गोरी सरकार को यह कहां गवारा होता लेकिन मोहन चंद्र जोशी शांतिलाल त्रिवेदी गंगा सिंह बिष्ट पदमा दत्त तिवारी लाला हरी राम रविंद्र प्रसाद अग्रवाल भवन चंद जैसे उल्लेखनीय नामों ने ठाना था तो हर हालत राष्ट्रीय ध्वज को नगर पालिका बोर्ड में फहराना है इसी को उलझन को सुलझाए बैठ गए आजादी के दीवाने और इसी अल्टीमेटम के कारण चेयरमैन साहब ने स्वयं 25 तारीख को कार्यालय पर तिरंगा फहराया इस प्रकार सत्याग्रह की अभूतपूर्व विजय हुई सन 1930 में नमक कानून नैनीताल झंडा सत्याग्रह 1932 में महिलाओं के दल द्वारा गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जहां जहां आंदोलन होते गोरी सरकार का दमन चक्र भी चलता है लेकिन कैसा यह दमन चक्र जो1942
चनौदा आश्रम बरस पड़ा चनौदा आश्रम अहिंसा का प्रतीक माना जाता था अल्मोड़ा के डिप्टी कमिश्नर कहते थे जब तक चनौदा आश्रम चालू है तब तक क्षेत्र में ब्रिटिश शासन चलाना मुश्किल मालूम होता है इसलिए आश्रम को तहस-नहस कर दिया गया लेकिन 1942 में ही सरला बहन की अगुवाई में आश्रम को बचाने के लिए एक मुहिम चलाई गई जिसकी अभूतपूर्व विजय हुई सन 1942 की क्रांति साधन की कमी तथा बाहर से कोई सहायता ना मिल पाने के कारण प्रकाश में नहीं आई 1941 42 के सल्ट के बलिदान एवं उत्साह से यह स्पष्ट हो जाता है कि क्रांति का जन्म कैसे होता है 8 अगस्त 1942 को मुंबई में महात्मा गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया और यहां हरगोविंद जी गिरफ्तार हो गए आजादी की क्रांति पूरे देश में भड़क उठी इससे अछूता नहीं रहा सल्ट भी सल्ट में भी इस क्रांति के चलते गंगाराम एवं उसके सगे भाई खेमानंद गोली मार के अंग्रेजी सरकार ने हत्या कर दी एवं लालमणि और उनके एक साथी 4 दिन बाद शहीद हो गए सल्ट भी आजादी पानी की राह में जल उठा नाटक के जरिए कलाकारों ने कुमाऊं के विशेषकर अल्मोड़ा के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन से दर्शकों को रूबरू करवाया और बताया कि आज आजादी के जो हम 75 साल मनाने जा रहे हैं वह आजादी हम को इतनी आसानी से नहीं मिली उसके लिए हमारे बहुत से क्रांतिकारियों ने बलिदान तक दिया है इसी उद्देश्य के साथ नाटक दर्शकों के दिल में सोचने के लिए कई सवाल छोड़ जाता है ।
मुख्य अतिथि के रूप में विधानसभा उपाध्यक्ष श रघुनाथ सिंह चौहान एवं विशिष्ट अतिथि में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री गोविंद पिलख्वाल जी थे
नाटक के लेखक श्री त्रिभुवन गिरी महाराज नाटक का निर्देशन नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी नरेश बिष्ट द्वारा किया गया सह निर्देशन देवेंद्र भट्ट द्वारा किया गया मुख्य अतिथि के रूप में विधानसभा उपाध्यक्ष श्री रघुनाथ सिंह चौहान एवं विशिष्ट अतिथि में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री गोविंद पिलख्वाल जी थे । संपूर्ण कार्यक्रम जिला प्रशासन अल्मोड़ा संस्कृति विभाग देहरादून एवं राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा के सौजन्य से किया गया नाटक में संदीप नयाल, ममता वाणी ,महेंद्र सिंह महरा, निशा मेहरा, चित्रा मिश्रा, रोहित ,जगदीश तिवारी, भास्करनंद तिवारी ,उमाशंकर हिमांशु कांडपाल ,विजय उप्रेती दिव्या जोशी ने अपनी अदाकारी से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी मंच परे मुख्य गायक अमित बोधोरी की ढोलक पर पंकज कुमार बांसुरी पर संतोष कुमार ने प्रस्तुति को और भी खूबसूरत बना दिया ।