आज 13 अप्रैल 2025 है। भारत की आजादी की लड़ाई की सबसे दुखद और क्रूर घटनाओं में से एक- जलियांवाला बाग हत्याकांड का दिन है। जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 को हुआ था। इसे अमृतसर हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है। जब जनरल ड्वायर जिसके आदेश पर जलियॉंवाला बाग में हजारों लोगों को अंग्रेजी फौज ने गोलियों से भून डाला। इस घटना में ब्रिटिश सैनिकों ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चला दी थीं।इस हत्याकांड में कई लोग मारे गए और घायल हुए थे।
बड़ी संख्या में बेकसूर लोगों ने गंवाई जान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 13 अप्रैल बैसाखी का दिन होता है। उस साल भी हजारों लोग त्योहार की खुशियां मनाने अमृतसर पहुंचे हुए थे। बड़ी संख्या में लोग जलियांवाला बाग घूमने भी पहुंचे थे। इस दिन यहां एक राजनीकित कार्यक्रम भी होना था। तब बिना किसी चेतावनी के ब्रिगेडियर जनरल डायर के नेतृत्व में 90 ब्रिटिश सैनिकों की एक टुकड़ी वहां पहुंच गई। बाहर निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए थे। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियॉंवाला बाग में आयोजित सम्मेलन में अंग्रेज जरनल ड्वायर द्वारा बेकसूर भारतीयों पर गोलियां चलाई गई, जिसमें लगभग 3 हजार लोगों की हत्या कर दी गई। आज भी जलियांवाला बाग की दीवारों पर उन गोलियों के निशान मौजूद हैं।
देश के स्वतंत्रता संग्राम में साबित हुआ एक महत्वपूर्ण मोड़
जलियांवाला बाग हत्याकांड, रौलेट एक्ट के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ था। इस हत्याकांड में अंग्रेज़ों ने भीड़ पर अकारण गोलियां चलवाई थीं। इस घटना ने भारत के आज़ादी के आंदोलन को गति दी और ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश बढ़ाया। पूरे भारत में व्यापक आक्रोश फैल गया। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। ब्रिटिश शासन को खत्म करने का आह्वान किया गया।