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चंपावत: जिले के मां बाराही धाम देवीधुरा में विश्व प्रसिद्ध बग्वाल आज फल -फूलों से सांकेतिक रूप से खेली गई। रक्षाबंधन पर्व पर हर साल आयोजित होने वाला बग्वाल मेला कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल नहीं खेली जा सकी। इस बार कोरोना नियमों को पालन करते हुए मेले का आयोजन किया गया।
लमगड़िया-वालिग, गहरवाल और चम्याल) के योद्धाओं ने किया प्रतिभाग
इस बार बगवाल में चारों खाम (लमगड़िया-वालिग, गहरवाल और चम्याल) के योद्धाओं ने प्रतिभाग किया । इस बार बगवाल सुबह 11 बजकर 02 मिनट से 11 बजकर 09 मिनट तक केवल आठ मिनट चली। जिसमें 77 लोग चोटिल हुए। घायलों में अधिकतर रण बाँकुरे शामिल रहे।
घायलों का नजदीकी अस्पताल में उपचार कराया गया
पत्थर और ईंट लगने से 77 लोग घायल हो गए। सभी घायलों का नजदीकी अस्पताल में उपचार कराया गया। जानकारी के अनुसार सभी घायलों की हालत खतरे से बाहर है। सभी का उपचार कर दिया गया है।
बग्वाल से जुड़ी मान्यता
बगवाल से जुड़ीं यह मान्यता है कि पूर्व में यहां नरबलि देने का रिवाज था, लेकिन जब चम्याल खाम की एक वृद्धा के एकमात्र पौत्र की बलि के लिए बारी आई तो वंशनाश के डर से उसने मां बाराही की तपस्या की। देवी मां के प्रसन्न होने पर वृद्धा की सलाह पर चारों खामों के मुखियाओं ने बगवाल की परंपरा शुरू की। तबसे ये परंपरा चली आ रही है ।
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