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उत्तराखंड में इन दिनों जंगलों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। इससे वनों को काफी नुकसान हो रहा है। वन महकमा के लाख दावों के बाद भी वनाग्नि की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। वनाग्नि की घटनाओं ने कुमाऊं के अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत और पिथौरागढ़ में पेड़-पौधों को भारी नुकसान पहुंचा है।
वनों को सबसे ज्यादा नुकसान-
इस आग की घटनाओं में रिकॉर्ड घटनाएं सामने आई है। पिछले ढ़ाई माह में ही अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चम्पावत में 430 वनाग्नि की घटनाओं में 767.69 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। जिसमें 21 लाख 89 हजार 350 हजार रुपये की वन संपदा को नुकसान हुआ है। फायर सीजन से अब तक कुमाऊं के चार जिलों में सबसे अधिक दावनल की घटनाएं सामने आई है। ढाई माह के अंतराल में ही अकेले अल्मोड़ा वन प्रभाग और सिविल सोयम में 216 घटनाओं में 426.65 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ गये है। जबकि विभाग को 12 लाख से अधिक का नुकसान हुआ है।
आग की घटनाओं से स्वाहा होते जंगल-
वहीं अल्मोड़ा सिविल सोयल में अब तक 53 आग की घटनाओं में 118.25 हेक्टेयर वन क्षेत्रफल प्रभावित हो चुका हैं, जिससे विभाग को 2 लाख 76 हजार 250 रुपये का नुकसान हुआ है। यह रिकॉर्ड पिछले वर्ष की घटनाओं के करीब है। सिविल सोयल में पिछले वर्ष 70 घटनाओं में 148.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित होने के साथ ही 4 लाख 78 हजार 740 की चपत लगी थी।
जनपद रिजर्व फॉरेंस्ट सिविल क्षेत्रफल नुकसान
अल्मोड़ा– 142 53 426.65 12,40,650
पिथौरागढ़– 53 69 192.75 5,10,250
बागेश्वर– 81 10 132.04 4,03,550
चम्पावत– 21 02 16.25 34,900
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