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अपनी पेंटिंग्स में सांस्कृतिक विरासतों को उकेरने का कार्य कर रहे शमशाद अहमद की हिलजात्रा पेंटिंग नेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल हुई है। शमशाद के नाम यह रिकॉर्ड सातू-आठू के दौरान मनाए जाने वाले हिलजात्रा पर्व पर पेंटिंगों की श्रृंखला बनाने के लिए दर्ज किया गया है। 29 सितंबर को लखनऊ आए नेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड ओएमजी के संस्थापक डॉ. दिनेश गुप्ता ने शमशाद को इस रिकॉर्ड के लिए सर्टिफिकेट और मेडल देकर सम्मानित किया।
सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण का कर रहे कार्य
मूलतः पिथौरागढ़ के निवासी शमशाद अहमद पिछले दो दशकों से लखनऊ में रह रहे हैं। उत्तराखंड से दूर रहते हुए भी वह उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के कार्य में लगे हुए हैं। शमशाद को बचपन से ही पेंटिंग से लगाव रहा। जब वह नवोदय पर्वतीय कला केंद्र के सम्पर्क में आए तो उन्होंने उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को समझना शुरू किया। छलिया नृत्य, पर्वतीय क्षेत्र के परिधान, गहने, ऐंपण, वाद्य यंत्र, हिलजात्रा को उन्होंने अपनी पेटिंग का विषय बनाया। उन्होंने कुमाऊं की सबसे लोकप्रिय प्रेम कथा राजुला- मालूशाही पर आधारित चित्र भी तैयार किए हैं।
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