March 29, 2024

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2023 में भारत की अगुवाई में मनेगा ‘अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष’, 70 से भी ज्यादा देशों में कार्यक्रम किये जाएंगे आयोजित

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कुपोषण को दूर करने का आह्वान किया, साथ ही पोषक अनाज को बढ़ावा देने की भी घोषणा की। इसके लिए देश में पहल भी शुरू हो गई है। हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है, जो कि पीएम के के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार द्वारा पहले से भी पोषक अनाज संबंधी योजनाएं-कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

2023 में दुनियाभर में मनेगा अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष

दरअसल, वर्ष 2023 में भारत की अगुवाई में दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि भारत में खेती-किसानी व किसानों को समृद्ध करने के दृष्टिकोण के साथ, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रस्ताव पर, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फैसला किया है कि वर्ष 2023 में भारत के प्रायोजन में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाया जाएगा.। 2023 को मिलेट्स (बाजरा) अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष भी घोषित किया गया है।

पोषक अनाज के बारे में बढ़ाई जाएगी जागरूकता

कृषि मंत्री ने बताया कि इसके माध्यम से खाद्य सुरक्षा व पोषण के लिए पोषक अनाज के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना उद्देश्य है। खानपान व स्वास्थ्य की बदलती स्थितियों के बीच पोषक अनाज का और अधिक महत्व है, जो वर्षों पहले व्यापक उपयोग होता रहा।

70 से ज्यादा देशों में होंगे अनेक आयोजन

अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के प्रस्तावों पर हाल ही में बैठक में इन विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। भारतवर्ष के साथ ही 70 से ज्यादा देशों में भी अनेक आयोजन किए जाएंगे। पीएम मोदी के मुख्य आतिथ्य में इसका आगाज होगा। 2023 में सालभर कार्यक्रमों का सिलसिला चलेगा और इससे पहले भी अनेक कार्यक्रम प्रारंभिक रूप से किए जाएंगे। इसमें राज्य सरकारों, सभी जिलों के स्थानीय प्रशासन, नगरीय निकायों तथा देशभर के सांसदों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा।

भारत का मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80 प्रतिशत

पोषक अनाज (मिलेट्स) जलवायु प्रतिरोधक क्षमता वाली फसल हैं, जो 131 देशों में उगाई जाती हैं। यह भोजन के लिए उगाई जाने वाली अनाज की प्रथम फसल है, जिसके सिंधु सभ्यता में पाए गए सबसे पहले प्रमाण 3,000 ईसा पूर्व के हैं। एशिया और अफ्रीका में लगभग 59 करोड़ लोगों के लिए यह पारंपरिक भोजन है। इसमें बाजरा, ज्वार, रागी/मंडुवा, कांगनी, कोदो, कुटकी, चीना, सावां, ब्राउनटाप मिलेट, टेफ्फ मिलेट, फोनीओ मिलेट शामिल है। भारत में लगभग 140 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग पौने दो सौ लाख टन मिलेट्स का उत्पादन होता है, वहीं वैश्विक परिदृश्य 717 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगभग 863 लाख टन मिलेट्स उत्पादन का है। भारत का मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80 प्रतिशत एवं वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है।

भारत में मिलेट्स उत्पादन वाले राज्य

देश में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में मिलेट्स की खेती होती है।

मिलेट्स के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

मिलेट्स (बाजरा) के विकास के लिए भारत सरकार ने अनेक कदम उठाए है। 2018 में इसका राष्ट्रीय वर्ष मनाया गया, साथ ही एक विशिष्ट पहचान प्रदान करने के लिए कदन्नों को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत उप-मिशन प्रारंभ किया गया, वहीं कदन्न मूल्य श्रृंखला में राज्य सरकारों व हितधारकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं।