42 हफ्ते के कठिन प्रशिक्षण के बाद 64 गोरखा रंगरूट भारतीय सेना को मिल गए हैं । वाराणसी छावनी क्षेत्र स्थित 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर (जीटीसी) में 64 गोरखा रंगरूट शुक्रवार को कसम परेड के बाद भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बने है।
खुकरी की गई भेंट
ट्रेनिंग सेन्टर में आयोजित परेड की सलामी कमांडिंग ऑफिसर ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला (सेना मेडल) ने ली। पासिंग आउट परेड के बाद देश के लिए जान न्योछावर करने की शपथ लेने वाले गोरखा जवानों को नेपाली संस्कृति के अनुसार उनका परंपरागत औजार खुकरी भेंट की ।
कमांडिंग ऑफिसर ने जवानों में भरा जोश
इस दौरान कमांडिंग ऑफिसर ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला ने कहा कि एक सैनिक को हमेशा अनुशासन, अपनी फिटनेस और शस्त्र के सही से रखरखाव पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। विपरीत परिस्थिति में भी हौसला बुलंद रखना चाहिए और देशभक्ति के जज्बे से ओतप्रोत रहना चाहिए। अच्छी शिक्षा ग्रहण करने और प्रतिदिन कुछ नया सीखने पर ध्यान देना चाहिए। परेड में डिप्टी कमांडेंट कर्नल आरएस राठौर, ट्रेनिंग बटालियन कमांडर ने परेड की समीक्षा की।
इसके पहले रंगरूटों ने पवित्र ग्रंथ गीता पर हाथ रखकर भारतीय संविधान में आस्था रखने, देशभक्ति और भारतीय सेना में कर्तव्यनिष्ठा से सेवा करने का संकल्प लिया। सेना के अफसरों के अनुसार 42 सप्ताह के कठिन प्रशिक्षण के बाद ये रंगरूट अब अनुशासित सैनिकों में परिवर्तित होने के साथ बुनियादी और उन्नत युद्ध प्रशिक्षण में भी निपुण हो गये है।
युद्ध के दौरान कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम
जीटीसी ने इन सैनिकों को मानसिक रूप से इस तरह तैयार किया है कि युद्ध के दौरान कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सके। ये सैनिक देश की सुरक्षा में दुर्गम और सक्रिय क्षेत्रों में तैनात होंगे। कार्यक्रम में प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले रंगरूटों को सम्मानित किया गया।
1816 से हुई शुरुवात
नेपाल और भारत के बीच हुई संधि के अनुसार भारतीय सेना में अलग से गोरखा रेजीमेंट है, जिसमें करीब 40 हजार से अधिक नेपाली नागरिक काम कर रहे हैं। 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान नेपाली युवाओं की भर्ती की शुरुवात हुई थी ।