इसरो को बड़ी कामयाबी, सूर्य मिशन‌ आदित्य एल-1 ने धरती को कहा गुड बाय, सूरज की ओर बढ़ा रहा रफ्तार

देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। एक ऐसी खबर हम आपके सामने लाए हैं। इसरो का मिशन चंद्रयान-3 चन्द्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग के बाद अब जानकारी भारत को भेज रहा है। जिसके बाद अब इसरो का दूसरा मिशन है सूर्य मिशन‌। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब सबकी नजर इसरो के इस सूर्य मिशन पर है।

कामयाबी की ओर बढ़ रहा आदित्य एल-1

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब आदित्य L1 ने पृथ्वी के आखिरी ऑर्बिट को अलविदा कह दिया है और सूरज की ओर बढ़ चला है‌। इसने धरती और सूरज के बीच लांग्रेजियन प्वाइंट 1 ( L1) पर पहुंचने के लिए सफलतापूर्वक कक्षा बदल ली है। भारत के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ यान ने पांचवीं बार अपनी कक्षा बदलने में कामयाबी हासिल की है। इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि, पृथ्वी को अलविदा कह दिया है। इसके बाद वह पृथ्वी के कक्ष से बाहर निकल कर अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव के लिए निकल चुका है। इसरो ने कहा कि यह लगातार पांचवीं बार है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने किसी वस्तु को अंतरिक्ष में किसी अन्य खगोलीय पिंड या स्थान की तरफ सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है।आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट भारत की पहली स्‍पेस बेस्‍ड ऑब्‍जर्वेट्री को साथ ले जा रहा है, जो लैग्रेंजियन पॉइंट (एल-1) में रहकर सूर्य के बाहरी वातावरण को स्‍टडी करेगी।

15 लाख किमी की यात्रा पर निकला आदित्य एल-1

इसके बाद 15 लाख km की लंबी यात्रा को पूरा करेगा। इसके बाद वह सूरज की तरफ मौजूद L1 प्वाइंट यानी लैरेंज प्वाइंट की तरफ निकल जाएगा। फिर वह करीब 109 दिन की यात्रा हैलो ऑर्बिट में करेगा।

02 सितंबर को किया गया था लांच

रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया गया है कि आदित्य एल-1 को 02 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। 128 दिन की अंतरिक्ष की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य एल-1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन पॉइंट के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। आदित्य एल1 पर लगे पेलोड सूरज की रोशनी, प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करेंगे।

इस मिशन से की जाएगी यह स्टडी

रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि आदित्य एल -1 मिशन से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के तापमान, पराबैगनी किरणों के धरती पड़ने वाले प्रभावों को लेकर स्टडी की जाएगी। आदित्य-एल1 को सूर्य की सबसे बाहरी परत के ऑब्जर्वेशन (अवलोकन) के लिए तैयार किया गया है. एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूरज तक की यात्रा लैग्रेंज बिंदु के जरिए करेगा। ‘लैग्रेंज बिंदु’ अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।