अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है यहां अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं अपूर्ण होने के चलते जन अपेक्षाएं हैं कि जन हित में बेस चिकित्सालय को कम से कम एक वर्ष तक पूर्व की भाँति रखा जाये ताकि अल्मोड़ा व सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों के मरीजों का इलाज सही ढंग से हो सके और उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
उत्तराखंड प्रदेश में चल रहे हैं दो-दो नियम
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में अलग नियम और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में अलग । श्रीनगर बेस अस्पताल को मेडिकल कॉलेज से अलग रखा गया तो अल्मोड़ा बेस अस्पताल को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज से अलग क्यों नहीं रखा जा सकता हैं।
सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली जनता के लिए बेस हॉस्पिटल एक आशा की किरण
बेस चिकित्सालय कई दशकों से अपनी उत्तम सेवाएं अल्मोड़ा व आसपास के क्षेत्रों में दे रहा है। कुमाऊँ क्षेत्र के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली जनता के लिए बेस हॉस्पिटल एक आशा की किरण है।
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी बेस चिकित्सालय को रखा गया कार्यरत
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी बेस चिकित्सालय को कार्यरत रखा गया हैं। जिसके लिए उस समय जनता द्वारा उग्र आंदोलन किया गया और फलस्वरूप उस समय के मुख्यमंत्री के द्वारा श्रीनगर की जनता को श्रीनगर बेस चिकित्सालय व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज दोनों सुविधाओं का लाभ मिलने की व्यवस्था करने के बाद ही आंदोलन रोका गया।
बेस चिकित्सालय व्यवस्था को हटाने की जनविरोधी कार्यवाही पर आंदोलन को बाध्य होंगे कार्यकर्ता
पूरन सिंह रौतेला अध्यक्ष नगर कांग्रेस कमेटी अल्मोड़ा ने कहा कि बेस चिकित्सालय व्यवस्था को हटाने की जनविरोधी कार्यवाही पर कांग्रेस पार्टी के द्वारा जन आन्दोलन किया जायेगा। उत्तराखंड सरकार द्वारा कि जा रही जल्दबाजी में अल्मोड़ा की स्वास्थ्य सुविधाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा हैं। अतः हमारा उत्तराखंड सरकार से अनुरोध हैं की श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की भाँति सामान नीति का अनुपालन कर अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में भी वही नियम लागू करें , अगर यह नियम लागू नहीं हुआ तो अल्मोडा कांग्रेस के कार्यकता सड़कों पर आकर जन आन्दोलन को बाध्य होंगें।
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