अल्मोड़ा: एसएसजे परिसर में आयोजित सामुदायिक कार्यशाला के तृतीय दिवस में गुणवान शिक्षक के विभिन्न आयामों पर की गई चर्चा

एस. एस .जे.परिसर अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय में पांच दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का आयोजन २१ मार्च २०२३ से २५ मार्च २०२३ तक किया जा रहा है।

कार्यक्रम का आयोजन

कार्यशाला के तृतीय दिवस की शुरुवात एम. एड तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी हेमा कपकोटी और महिमा नेगी द्वारा किया गया तथा एम.एड. तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी राधा बिष्ट द्वारा द्वितीय दिवस के दोनों सत्रों का प्रतिवेदन संक्षिप्त में प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में विषय विषेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर जी. एस. नयाल उपस्थित रहे।

मानसिक प्रदूषण से खुद को और समाज को बचाए

   प्रोफेसर जी.एस. नयाल द्वारा एम.एड. प्रथम एवम् तृतीय सेमेस्टर के छात्रों को संयुक्त रूप से व्याख्यान दिया। प्रोफेसर नयाल द्वारा एक गुणवान शिक्षक के विभिन्न आयामों पर  परिचर्चा की गई। मुख्यतः उन्होनें मानसिक प्रदूषण (मेंटल पॉल्यूशन) से अवगत कराते हुए विद्यार्थियों को एक प्रभावी शिक्षक बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया की मानसिक प्रदूषण  एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को क्षीण करने का कार्य करता है। जीवन में सफल होने के लिए उन्होंने स्वामी विवेकानंद के द्वारा बताए गए तीन स्तर, उपहास, विरोध और स्वीकृति से छात्रों को अवगत कराया। तृतीय दिवस के प्रकरण शोध पत्र लेखन पर छात्रों से अपना अपार ज्ञान साझा किया, जिसमें उन्होंने स्वामी रामतीर्थ के जीवन का एक उदाहरण देते हुए प्रभावशाली रूप से अवलोकन विधि, आंकड़ों के प्रकार, इत्यादि संकल्पनाओं से अवगत कराया।
  प्रथम सत्र का समापन एम.एड. तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी निवेदिता शाह और रिंकी पाण्डेय द्वारा प्रोफेसर नयाल का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

आनंदम पाठ्यक्रम से रूबरू हुए छात्र

  कार्यक्रम के दूसरे सत्र, हैप्पीनेस में डाइट अल्मोड़ा से डॉ. दीपा जलाल विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रही। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीलम द्वारा सत्र का संचालन किया गया। संचालन के दौरान उन्होंने डॉ. दीपा जलाल का परिचय दिया और उसके साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संगीता पवार द्वारा विषय विशेषज्ञ का बैज अलंकरण कर एवं एक पौधा भेट कर स्वागत किया गया। इसके पश्चात डॉ. जलाल द्वारा हैप्पीनेस सत्र का प्रारंभ माइंडफुलनेस एक्टिविटी के माध्यम से किया गया। उन्होंने बताया की जिस खुशी को हम भौतिक चीजों में ढूंढने का प्रयत्न करते हैं, वो हमारे भीतर ही है। विद्यार्थियों के मध्य विद्यालय को लेकर निराशा सत्र का मुख्य बिंदु रहा। उनके द्वारा उत्तराखंड के विद्यालयों में कक्षा 1-8 तक चल रही आनंदम पाठ्यचर्या को छात्रों के समक्ष रखा गया। डॉ. जलाल द्वारा आनंदम पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन के संबंध में एम.एड. प्रशिक्षुओं को विभिन्न गतिविधियों की सहायता से जानकारी दी साथ ही विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भीमा मनराल द्वारा डॉक्टर दीपा जलाल को धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ तृतीय दिवस के कार्यक्रम का समापन किया गया|

आगामी कार्यक्रम को लेकर दिशा निर्देश

कार्यक्रम समन्वयक असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री सरोज जोशी द्वारा आगामी कार्यक्रमों को लेकर समाज में फैल रही गलत अवधारणा, छात्रों में सोशल मीडिया के सही और गलत प्रभाव , स्मार्टफोन के सही प्रयोग के संबंध में कैसे समाज मे जागरुकता फैलाई जा सकती है और कैसे एम. एड. के विद्यार्थी किस प्रकार अपना योगदान दे सकते हैं पर चर्चा की गई।

यह लोग रहे उपस्थित

इस अवसर पर एम एड तृतीय सेमेस्टर के भारती,  पूर्णिमा, कार्तिकी, पवन, पूजा, किरन इत्यादि प्रशिक्षणार्थी व शिक्षा संकाय के समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहे|।