माघ पूर्णिमा,2023: आज है माघ पूर्णिमा, जानें ये पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में माघ की पूर्णिमा का विशेष महत्व है । हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा आज है।  यह पूर्णिमा को दान-पुण्य के लिए शुभ माना जाता है । धार्मिक दृष्टिकोण से माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। यही वजह है कि प्राचीन पुराणों में भगवान नारायण को पाने का सुगम मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है। माघ मास में खिचड़ी, घृत, नमक, हल्दी, गुड़, तिल का दान करने से महाफल की प्राप्ति होती है । माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन एक दिन के स्नान से श्रद्धालु स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन सकता है।

पूर्णिमा की तिथि

इसबार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी यानी आज है।  4 फरवरी, शनिवार को माघ पूर्णिमा रात 9 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ हो गई है। वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 5 फरवरी, रविवार को रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में उदय तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को मनाई जाएगी।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण और भिक्षा मांग कर अपना जीवन निर्वाह करता था। ब्राह्मण की पत्नी को कोई संतान नहीं थी। एक दिन उसकी पत्नी भिक्षा मांगने के लिए नगर में गई। लेकिन नगर वासियों ने बांझ कह कर उसे भिक्षा नहीं दिया। उसी समय किसी ने उसे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने की सलाह दी। यह सुनकर ब्राह्मणी ने भक्ति पूर्वक मां काली की पूजा आराधना करने लगी। 16 दिन बाद मां काली प्रसन्न होकर प्रकट हुई और उन्होंने ब्राह्मणी को गर्भवती होने का वरदान दिया और अपने सामर्थ के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा को कम से कम 32 दीपक जलाने को कहा। एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पूजा के लिए आम के पेड़ से कच्चा फल तोड़ कर दिया। तब उसकी पत्नी ने उस फल को लेकर मां काली की पूजा की।माता के कहे अनुसार वह प्रत्येक पूर्णिमा को मां काली प्रतिमा के सामने दीपक जलाती रही। माता मां काली की कृपा से उसके घर में एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया। उसने अपने पुत्र का नाम देवदास रखा। जब देवदास बड़ा हो गया, तो वह अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी चला गया। काफी में देवदास के साथ ऐसी घटना घटी जिसके कारण देवदास का विवाह धोखे से हो गया।  देवदास की अल्पायु थी, इसलिए विवाह के कुछ दिन बाद ही काल उसका प्राण लेने के लिए आ गए। लेकिन ब्राम्हण दंपति ने पूर्णिमा का व्रत रखा था, इस प्रभाव से काल देवदास का प्राण नहीं ले पाएं। तभी से पूर्णिमा के दिन व्रत करने की प्रथा शुरू हो गई। ऐसी मान्यता है, कि पूर्णिमा का व्रत सभी मनोकामना को पूर्ण करने के साथ-साथ जीवन के संकटों को दूर करता हैं।

ऐसे करें पूजा

स्नान के बाद सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को – अर्घ्य दें।भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करें ।गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन का दान करना चाहिए इससे महाफल की प्राप्ति होती है।  काले तिल का दान करना शुभ माना गया है  । साथ ही माघ मास में काले तिल से हवन करना चाहिए तथा पितरों को काले तिल का भोग लगाना चाहिए ।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ पूर्णिमा पर वस्त्र, अन्न, लड्डू, गुड़, घी, फल, अनाज का दान भी किया जा सकता है।