अल्मोड़ा: एसएसजे के कुलपति प्रो.भंडारी और जी.बी. पंत संस्थान के निदेशक डॉ सुनील नौटियाल सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों के बीच पर्यावरण संरक्षण को लेकर हुआ बैठक का आयोजन

गोविंद बल्लभ पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के निदेशक प्रो.  सुनील नौटियाल ने  कुलपति प्रो.नरेंद्र सिंह भंडारी को पुष्प गुच्छ देकर भेंट की और संयुक्त रूप से पर्यावरण को लेकर कार्य करने की इच्छा जताई। उन्होंने कुलपति प्रो.भंडारी से श्रीमती लीना नंदन (आईएएस), सचिव भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (G.B.Pant संस्थान के गवर्निंग बॉडी की प्रमुख) के संदेश को क्रियान्वित करने के लिए  विश्वविद्यालय के शोध छात्रों, रिसर्चरों को कार्य करने के लिए साझा सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शोधछात्र , एम.एस.सी के विद्यार्थी, रिसर्चर हिमालयी पर्यावरण, समसामयिक मुद्दे, हिमालय को लेकर बनी नीतियों आदि के क्रियान्वयन, नीतियों के क्रियान्वयन में आ रहे अवरोध और समस्याओं, समस्याओं के निराकरण आदि पर कार्य कर करने के लिए आएं। यदि एसएसजे के शोधार्थी एवं छात्र पर्यावरण को लेकर उठाये गए कदमों के क्या परिणाम सामने आये हैं, आदि पर 3 महीने शोध कर अपनी रिपोर्ट साझा करें, प्रस्तुतिकरण दें तो उत्कृष्ट शोधकों को  संस्थान द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति, अधिकारियों के सहयोग के लिए आभार जताया।

जी.बी. पंत संस्थान के साथ मिलकर व्याख्यानमालाओं,शोध कार्यों  को लेकर कार्य करेंगे

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि एसएसजे विश्वविद्यालय हिमालयी पर्यावरण को लेकर कार्य कर रहा है और यहां की ऊर्जावान फैकल्टीज पर्यावरण संस्थान के साथ मिलकर निरन्तर कार्य करते आ रहे हैं। हम आगे भी जी.बी. पंत संस्थान के साथ मिलकर व्याख्यानमालाओं,शोध कार्यों  को लेकर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं लोक आपस में जुड़े हैं। हमें समुदायों के बीच जाकर कार्य करना चाहिए। दोनों ही संस्थान समुदाय के बीच जाकर बेहतर कार्य कर समाज के सामने पर्यावरणीय गतिविधियों को प्रकाश में लाएं,ताकि सामुदायिक जन उनका लाभ उठा सके।

भविष्य में दोनों ही संस्थानों के विशेषज्ञ आपस में एक-दूसरे संस्थान में व्याख्यान देंगे

कुलपति प्रो भंडारी ने कहा कि हमारा हरेला लोकपर्व पर्यावरण से जुड़ा है। हमने विश्वविद्यालय में हरेला पीठ की स्थापना की है जो पर्यावरण संरक्षण, जल संवर्धन, पारंपरिक ज्ञान संकलन, नौला संरक्षण आदि को लेकर उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। ऐसे ही पर्यावरण संस्थान के साथ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, जंतुविज्ञान,  वानिकी एवं पर्यावरण विज्ञान के विद्यार्थी पर्यावरण को लेकर जी बी संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ प्रयोगशाला में शोध कार्य करेंगे तो शोधकों के लिए लाभदायी होगा। भविष्य में दोनों ही संस्थानों के विशेषज्ञ आपस में एक-दूसरे संस्थान में व्याख्यान देंगे, पारंपरिक ज्ञान का संवर्धन करने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे। उन्होंने सभी सदस्यों को बैठक की सफलता के लिए बधाई दी।

सम्मानित किया

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भंडारी ने गोविंद बल्लभ पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के ऊर्जावान नव नियुक्त निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल को विश्वविद्यालय की ओर से शॉल ओढ़ाकर  एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

डॉ ललित चन्द्र जोशी द्वारा लिखी गयी कोविड-19: प्रभाव  एवं परिणाम पुस्तक का लोकार्पण किया गया

इस अवसर पर शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल द्वारा संपादित आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सृजन विभागीय पत्रिका एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो इला साह एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डॉ ललित चन्द्र जोशी द्वारा लिखी गयी कोविड-19: प्रभाव  एवं परिणाम पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

बैठक में मौजूद रहे

बैठक में वरिष्ठ वैज्ञानिक आई.डी. भट्ट, प्रो.जगत सिंह बिष्ट (निदेशक,शोध एवं प्रसार निदेशालय), प्रो. सुशील कुमार जोशी (परीक्षा नियंत्रक), प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन), प्रो.इला साह (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), प्रो. भीमा मनराल (संकायाध्यक्ष, शिक्षा), प्रो. गिरीश चन्द्र साह ( अधिष्ठाता परीक्षा), प्रो अनिल कुमार यादव ( संयोजक, ग्रीन ऑडिट), प्रो. ज्योति जोशी (विभागाध्यक्ष, भूगोल), डॉ.देवेंद्र सिंह बिष्ट (कुलसचिव), डॉ. बलवंत कुमार (विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान), डॉ. ललित जोशी (विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी),  श्री विपिन जोशी ( वैयक्तिक सहायक) एवं गोविंद मेर उपस्थित रहे।