कवि डॉ. ललित जोशी ‘योगी’ की स्वरचित कविता, सुनो रे भैय्या एक वोट से……

सुनो रे भैय्या,एक वोट से निश्चित होगी जीत।
एक वोट से लोकतंत्र की पक्की होगी नींव।।
कांधे में झोला लटकाए चले हैं पीठासीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

जगह-जगह रैलियों से आजमाइश हो रही।
चुनाव आया,जाम लगा और भीड़ बढ़ गयी।।
दौड़ रहा चुनावी घोड़ा,बड़ों ने पकड़ी जीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

किसी का झाड़ू,खिला कमल, हाथ दिख रहा।
किश्म-किश्म के झंडे,चुनाव चिह्न दिख रहा।।
हांफ-हाँफकर नारे कहें,जैसे ‘भय्या जी कहींन’।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

घर घर आजकल,वादों के इश्तेहार ला रहे।
प्रत्याशी के साथ उनके अनुयायी आ रहे।।
भरे शोर में दबी गरीबी,आये हैं अच्छे दिन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

सड़कों पे रेंगे सरकारी गाड़ी, हूटर बज रहे।
आसमाँ में भी हेलीकॉप्टर रोज गड़गड़ा रहे।।
हर जगह चुनावी बात और है चुनावी सीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

सरकारी बाबू भी आजकल जिम्मेदार हो गए।
रात-दिन दफ्तर में चुनावी काम निबटा रहे।।
चेहरों पे है सुनसानी उनके,माथे खिंची लकीर।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे…

सेक्टर, सेक्टर के भी अब मजिस्ट्रेट हो गए।
शराबी मेरे सैय्यां,फ्लाइंग में,शराब पकड़ रहे।।
वो भी खुश हैं बाहर और घर में हमें भी सुकून।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

कल तलक थे,जो चपल,वो हो चले हैं गंभीर।
खाना-पीना छोड़,निकले बदलने को तकदीर।।
हमारे सैय्यां राजा भी हैं,चुनाव के बड़े शौकीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

सियासी महासमर में चुनावी दृष्टि आ गई।
मंझे हुए सूरमाओं की प्रतिष्ठा दाव है लगी।।
फ्री फ्री के चक्कर में,महंगाई ने उड़ाई नींद।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

प्रत्याशियों के लिए एक वोटर भी है कीमती।
बागी थे जो,भाईजान बने,नेतागिरी हो रही।।
इंटरनेट में वर्चुअल रैली भी आसान हो गयी।।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

गली-मुहल्ले में नेताजी पहुंचे,कर रहे सलाम।
अंगुलियों में गिना रहे हैं वो बीते हुए काम।।
जहां-तहाँ चुनाव हुआ, हर जगह चुनावी सीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

हाथ जोड़ कर सभी से नेता वादा कर रहे।
जीत होगी हमारी,ये आकाशवाणी कर रहे।।
सुधरे हुए हैं वो लोग आज,जो थे बड़े कमीन।।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

बड़े लुभावने-गुनगुनाने के नारे कह रहे।
चुनावी प्रोडक्ट हैं सुहाने, ये वादे हो गए।।
टोपी,बिल्ले,झंडों से शहर हुआ रंगीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

पोस्टल बैलेट,वीवीपैट में अब जोर हो गया।
बीयू,सीयू का स्लाइड शो भी पूरा हो गया।।
किसकी बनेगी किस्मत,चमकेगी किसकी तकदीर।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

चुनावी खबर से अखबार भी रोजाना अटे पड़े।
जीत-हार के समीकरण में, सब उलझ गए।।
एक-दूजे के खिलाफ षड्यंत्र,करते छींटाकशी।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

पोलिंग बूथ साइट में अब फ्लैग मार्च हो रहा।
चुनाव के लिए गाड़ियों का इंतजाम हो रहा।।
काम में रातें हुई हैं छोटी,अब बातें हुईं महीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

दल-बदल हो चुकी,सियासी दीवार चीन उठी।
चुनावी दंगल में घर-गलियां भी हैं पटी पड़ी।।
पोलिंग पार्टियों की लमसम विदाई हो गयी।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

डीईओ-डीएम,एसपी-सीओ ने कमर है कसी।
चुनावी झंडा लिए ताई,भाभी जी दिख रहीं।
घर चलाने को वो भी रोजगार में जुटीं हुईं।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

तीन सौ,पांच सौ का ये धंदा अब खुल गया।
इसी बहाने ही सही,इनका रोजगार चल गया।।
किसी के घर में अब जैसे कोई काम बचा नहीं।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

पार्टियों के बड़े बड़े घोषणा पत्र जारी हो गए।
घोषणाओं के जैसे हजारों पिटारे खुल गए।।
बिजली-पानी के दाम में जैसे आई हो कमी।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

चुनाव में सब कुछ भय्या अब पैसा हो गया।
शराब की बोतलों में अब युवा-गांव बिक रहा।।
जाति-धर्म की चालें अब और आये चुनावी दिन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

बड़ा रोमांचकारी,राजनीति का गेम हो गया।
कहीं असंतोष तो कहीं भितरघात हो गया।।
टैक्सियों में दलों की जैसे बज पड़ी हो बीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

बड़ा रोमांचकारी ये विधानसभा चुनाव हो गया।
और अलादीन का जैसे ये चिराग हो गया।।
सभी हुए हैं मस्त, हुआ मैं भी साधना में लीन।
नेता की किस्मत आजमाएगी ईवीएम मशीन।। सुनो रे..

-डॉ ललित चन्द्र जोशी
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा।