April 28, 2024

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महाशिवरात्रि 2024: आज मनाई जा रही है महाशिवरात्रि, बन रहें यह शुभ योग, जानें मुहुर्त और पूजन विधि

आज देशभर में महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है । महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भोले की उपासना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं । कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व आज 8 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है। आज महाशिवरात्रि पर भक्त उपवास भी करते हैं। इस दौरान शिव मंदिरों, शिवालयों और ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी भीड़ लगती है।

विभिन्न पहरों में करे पूजा

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ दिनांक 08 मार्च को रात्रि 09 बजकर 57 मिनट पर होगा और इसका समापन दिनांक 09 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। ऐसे में महाशिवरात्रि व्रत दिनांक 08 मार्च को रखा जाएगा। इस दौरान किसी भी समय जलाभिषेक किया जा सकता है।

प्रथम प्रहर की पूजा का समय– आज 8 मार्च शाम 06.25 बजे से रात्रि 09.28 बजे तक
दूसरे प्रहर की पूजा का समय– रात 09.28 बजे से 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे तक
तीसरे प्रहर की पूजा का समय– 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे से सुबह 03.34 बजे तक
चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय– 9 मार्च को सुबह 03.34 बजे से सुबह 06.37 बजे तक

निशिता मुहूर्त

इस साल महाशिवरात्रि की पूजा का निशिता मुहूर्त देर रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें । मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं । अंत में पूजा करके भगवान की आरती करें और गरीबों को दान करें ।

है बेहद खास

इस बार की महाशिवरात्रि पर ग्रह पांच राशियों में होंगे। चंद्र और मंगल एक साथ मकर राशि में होंगे। यह संयोग लक्ष्मी नामक योग बना रहा है। इस बार शिवरात्रि पर धन संबंधी बाधाएं दूर की जा सकती हैं। चंद्र और गुरु का प्रबल होना भी शुभ स्थितियां बना रहा है। इस बार की शिवरात्रि पर रोजगार की मुश्किलें भी दूर की जा सकती हैं‌।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!