नैनीताल: हाईकोर्ट का सवाल, लड़के- लड़कियों के डेटिंग मामले में केवल लड़के ही क्यों जाएं जेल

उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने कम उम्र में लड़के- लड़कियों की डेटिंग के मामले में सुनवाई की। जिसमें हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं।

हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि अगर कम उम्र की लड़के-लड़कियां साथ में डेट पर जाते हैं और लड़की के माता-पिता शिकायत करते हैं तो क्या सिर्फ नाबालिग लड़के को ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए? पूछा कि क्या युवक की गिरफ्तारी जरूरी है? कोर्ट ने इस मामले पर आगे कहा कि क्या इस मामले में लड़के को बुलाकर समझाया जा सकता है, डांटा जा सकता है, सलाह दी जा सकती है फिर उसे जाने दिया जा सकता है? उसे समझाना चाहिए कि वो भविष्य में ऐसी गतिविधियों में शामिल न हो। युवकों को गिरफ्तार करना ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक वकील मनीषा भंडारी की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

अब 06 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई

रिपोर्ट्स के मुताबिक मनीषा भंडारी की याचिका में लैंगिक असमानता पर बात की गई है। इसमें कहा गया है कि जहां लड़कियों को अक्सर सहमति से बने संबंधों में भी पीड़ित के रूप में देखा जाता है, तो दूसरी तरफ किशोर लड़कों को अपराधी के रूप में देखा जाता है। वकील मनीषा भंडारी ने चीफ जस्टिस के सामने दावा किया कि हाल में उन्हें हल्द्वानी जेल में 20 ऐसे लड़के मिले थे जो इसका शिकार हुए थे। उनकी इस दलील पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि केवल लड़कों को ही क्यों गिरफ्तार किया जाना चाहिए ऐसे मामलों में उन्हें सलाह देकर रिहा किया जाना चाहिए। गिरफ्तारी बिल्कुल भी उचित नहीं है। अब इस मामले की सुनवाई अगले महीने 6 अगस्त को होगी।