नैनीताल: नदी में पुल नहीं बनना मौलिक अधिकारों के साथ ही शिक्षा के अधिकार का उल्लघंन

नैनीताल: गौला नदी के दूसरी तरफ बसे हैड़ाखान क्षेत्र के उड़वा व पस्तोला गांव के बच्चे नदी से होकर विद्यालय जाने को मजबूर हैं। हाईकोर्ट ने इसे मौलिक अधिकारों के साथ ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करार देते हुए सचिव लोनिवि व जिलाधिकारी से तीन सप्ताह में जवाब तलब करने के निर्देश दिए हैं।

स्कूल जाने के लिए बच्चे नदी से करते हैं आवाजाही

गुरुविंदर सिंह चड्ढा फाउंडेशन के संस्थापक गगनदीप चड्ढा ने जनहित याचिका दायर करते हुए कहा था कि नदी पर पुल नहीं होने से आठवीं पास करने के बाद बच्चे स्कूल जाने के लिए खतरे के बीच नदी से आवाजाही करते हैं। यहां तक कि उन्हें स्कूल की दो यूनीफार्म ले जानी पड़ती हैं, ताकि एक भीग जाए तो दूसरी यूनीफार्म पहनकर वह स्कूल जा सकें।

लोनिवि व जिलाधिकारी नैनीताल से तीन सप्ताह में जवाब तलब

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने कहा कि उड़वा व पस्तोला गांव की आबादी करीब 1300 है। दोनों गांवों के लिए पूर्व में गौला नदी पर 18 लाख का झूला पुल स्वीकृत हुआ था। बाद में पुल के स्थान पर 2019 में छह किमी की सड़क का प्रस्ताव तैयार किया गया। इसकी लागत 48 लाख आंकी गई। खंडपीठ ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए लोनिवि व जिलाधिकारी नैनीताल से तीन सप्ताह में जवाब तलब कर लिया है।