नैनीताल: कैंची धाम के कपाट अनिश्चितकालीन के लिए हुए बंद, श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए लिया गया फैसला

पूरे देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप अभी भी जारी है। जिसके चलते राज्यों में लाॅकडाउन तक लगाया गया, जिससे कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में थोड़ी बहुत राहत मिली है। वही उत्तराखण्ड राज्य में भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते लाॅकडाउन लागू किया गया है। जिसके बाद कोरोना के नये मामलों में गिरावट देखी गई। जिसके बाद एक बार फिर उत्तराखण्ड राज्य में कोरोना संक्रमण के नये मरीजों के मामले बढ़ गये हैं। जिसके चलते मंदिरों में भी सर्तकता बरती जाने लगी है।

कैंची धाम के कपाट अनिश्चितकालीन के लिए बंद-

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के कपाट अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिए गए हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते यह फैसला लिया गया है। जिसके चलते कैंची धाम मंदिर एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए लिया गया फैसला-

कैंची धाम मंदिर भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर में भीड़ होने से कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक बढ़ सकता है। जिसके चलते श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन ने मंदिर के द्वार अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिए है।

बाबा नींब करौरी महाराज जी का धाम है कैंची धाम-

कैंची धाम बाबा नींब करौरी महाराज जी का धाम है। यहां पर बाबा नींब करौरी महाराज कई सालों तक रहे। भक्त बताते हैं कि अभी भी बाबा जी यहां पर दर्शन देते हैं, जबकी नींब करौरी महाराज ने कई साल पहले ही अपने प्राण त्याग दिए थे। बाबा नीब करौरी महाराज जी को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। कई पुस्तकों में बाबा नींब करौरी महाराज जी के अनेको चमत्कारों का वर्णन भी है। 

15 जून को आयोजित होता है भव्य भंडारा-

हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडारा लगता है। 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी महाराज जी ने 15 जून 1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी। इस दिन देश-विदेश से यहां लोग बाबा के दर्शन करने और पावन प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं।