नमामि गंगे अभियान का मकसद गंगा की अविरलता और निर्मलता को सुनिश्चित करना है। इसके लिए गंगा से सटे पांच राज्यों में सीवरेज शोधन संयत्र (एसटीपी) और घाट बनाने के साथ ही अर्थ गंगा और जन गंगा जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों को गंगा स्वच्छता अभियान से जोड़ने के भी प्रयास हो रहे हैँ। क्या है वर्तमान में उत्तराखंड में नमामी गंगे प्रोजेक्ट का हाल, जानते हैं…
उत्तराखंड में पूरे हुए 30 प्रोजेक्ट
नमामी गंगे अभियान के तहत उत्तराखंड में तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। निगरानी के लिए जिला गंगा समिति की बैठकें आयोजित की जा रही हैं। देव प्रयाग, गंगोत्री और बद्रीनाथ में सेप्टेज मैनेजमेंट के तहत हाउस होल्ड कनेक्टिविटी को शहरी विकास विभाग और पेयजल निगम को तेजी से पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जोशीमठ और ऋषिकेश में एसटीपी प्लांट बनाने का काम जारी है। गंगा की मुख्यधारा में कुल 19 परियोजनाएं चलाई गई हैं, जिनमें से 17 पूरी हो गई हैं। कुल मिलाकर 32 एसटीपी प्लांट बनाने थे, जिनमें से 30 बन चुके हैं।
उत्तराखंड में पूरे 35 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैँ।
इस बारे में केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया कहते हैं कि 2525 किलोमीटर की नमानी गंगे की लंबाई में पांच राज्यों के अंदर करीब 344 प्रोजेक्ट रखा गया था, जिनमें से 35 प्रोजेक्ट उत्तराखंड में थे। अब उत्तराखंड में पूरे 35 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैँ।
46 घाटो और मोक्षदाह केंद्रों का किया गया निर्माण
228.40 करोड़ की लागत से 46 घाटो और मोक्षदाह केंद्रों का निर्माण हो चुका है। फ्लड प्लेन जोनिंग में हुए किसी प्रकार के अतिक्रमण को हटाने के संबंध में जिला अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं। अतिक्रमण हटाने का प्रयास भी हो रहा है। अर्थ गंगा प्रोजेक्ट के तहत सभी विभागों को गंगा के कायाकल्प के साथ ही गंगा बेसिन से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों के आर्थिक विकास को एकीकृत करते हुए, जिन विभागों द्वारा कार्य योजना प्रस्ताव तैयार नहीं हुए हैं, उन्हें भी शीघ्र प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड और झारखंड के सभी गंगा टाउन से आ रहे प्रदूषण पर बहुत हद तक कंट्रोल कर लिया गया है
मिली जानकारी के अनुसार नमामि गंगे के डायरेक्टर जनरल राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि उत्तराखंड और झारखंड के सभी गंगा टाउन से आ रहे प्रदूषण पर बहुत हद तक कंट्रोल कर लिया गया है। वह कहते हैं, “नमामि गंगे में हमनें केवल नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनाएं बल्कि पुराने वालों को भी ट्रीट किया है। हमनें उत्तराखंड के सभी ‘गंगा टाउन’ का आंकलन किया है। इसमें 97 टाउन आते हैं। इन सभी टाउन पर स्टडी करने के बाद ही हमनें प्रोजेक्ट साइन किए हैं।” वह आगे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में भी बड़ी सफलताएं मिली हैं, वहां 60 प्रतिशत से ऊपर गंगा से जुड़े प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। मुख्य शहर जैसे कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी वहां पर भी लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। वहीं , बिहार और बंगाल में नए सिरे से काम करना शुरू किया है।