मध्यप्रदेश के एक होम्योपैथी चिकित्सक प्रोफेसर निशांत और उनकी टीम ने सिकल सेल आनुवांशिक रोग के उपचार के लिए एक नई पद्वति प्रतिपादित की है। इस रोग में लाल रक्त कोशिकाएं विकृत होकर टूट जाती हैं । यह एक आनुवंशिक बीमारी है । सामान्य रूप में हमारे शरीर में लाल रक्त कण प्लेट की तरह चपटे और गोल होते हैं । यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से आवाजाही कर पाते हैं लेकिन यदि जीन असामान्य हैं तो इसके कारण लाल रक्त कण प्लेट की तरह गोल न होकर अर्धचंद्राकार रूप में दिखाई देते हैं । इस वजह से यह रक्त वाहिकाओं में ठीक तरह से आवागमन नहीं कर पाते हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके कारण मरीज को एनीमिया की समस्या होती है ।
सिकल सेल रोग अधिकतर उन देशों में ज्यादा होता है जो अविकसित होते हैं । इसलिए यह रोग अफ्रीका, तुर्की, ग्रीस, सऊदी अरेबिया और भारत जैसे कई देशों में ज्यादा देखने को मिलता है ।
कई देशों में तो लड़का-लड़की की शादी से पहले सिकल सेल की जांच अनिवार्य कर दी गई है
यह एक अनुवांशिक रोग है, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर इसकी रोकथाम की जा सकती है , यह एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इससे बचाव करना बहुत जरूरी है। दरअसल बच्चों में यह बीमारी पारित ना हो पाए, इसके लिए शादी करने से पहले लड़का और लड़की दोनों के ब्लड का चेकअप करवा लेना चाहिए ।यदि इन दोनों में सिकल सेल पाए जाते हैं या यह दोनों सिकल सेल से ग्रसित हैं, तो ऐसे लोगों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों में बीमारी पारित होने का खतरा अधिक रहता है । कई देशों में तो लड़का-लड़की की शादी से पहले सिकल सेल की जांच अनिवार्य कर दी गई है ।इसके अतिरिक्त जो बच्चे सिकल सेल से ग्रसित हैं, वे कमजोर होते हैं । ऐसे बच्चों का टीकाकरण करके उनके जीवन-आयु को बढ़ाया जा सकता है.
सिकल सेल रोग के इलाज के लिए नयी पद्धति प्रतिपादित हुई
बोनमैरो ट्रांसप्लांट सिकल सेल की बीमारी का वर्तमान में उपलब्ध एकमात्र उपचार था, लेकिन यह इलाज काफी जोखिम भरा होता है और इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं । इसके अलावा रोगी को फोलिक एसिड की दवाओं का सप्लीमेंट देकर उपचार किया जाता है । बच्चों के लिए टीकाकरण में न्यूमोकोकल, फ्लू और मेनिंगोकोकल के टीके लगाकर उपचार किया जाता है । लेकिन अब
मध्यप्रदेश के एक होम्योपैथी चिकित्सक प्रोफेसर निशांत और उनकी टीम ने सिकल सेल आनुवांशिक रोग के उपचार के लिए एक नई पद्वति प्रतिपादित की है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत लाई गई इस पद्धति को केन्द्र सरकार का अनुमोदन भी प्राप्त हो गया है।
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