कूनो नेशनल पार्क में आखिर क्यों हो रहीं चीतों की मौत, क्या है वजह, 10 महीनों में 06 चीतों ने गंवाई जान

देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। एक ऐसी खबर हम आपके सामने लाए हैं। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की हो रही मौत एक बड़ा चिंता का विषय है। भारत में यह प्रजाति 70 साल पहले विलुप्त हो चुकी है।

कूनो नेशनल पार्क में अब तक छह चीतों की मौत

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में विदेश से लाए गए चीतों में 04 चीतों की मौत हुई है। कूनो नेशनल पार्क में अब तक कुल मिलाकर छह चीतों की मौत हो चुकी है। मारे गए चीतों में तीन शावक भी शामिल है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इन चीतों की मौत की वजह क्या है? जिस पर वन विभाग का कहना है कि दोनों शावकों की मौत के पीछे एक बड़ी वजह यहां पड़ रही भीषण गर्मी भी है। इससे पहले 23 मई को भी एक शावक की मौत हो गई थी। जो बीमार था। अब ज्वाला के चार शावकों में से तीन की मौत हो चुकी है। केवल एक शावक जिंदा है। इसे भी गंभीर हालात में पालपुर चिकित्सालय में रखा गया है।

एनटीसीए ने चीतों की मौत को लेकर बनाई कमेटी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके बाद अब केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने चीतों की मौत को लेकर कमेटी बनाई है। इस कमेटी में 15 विशेषज्ञ शामिल हैं। इन विशेषज्ञों में चार विदेशी चीता विशेषज्ञ होंगे। इनमें भारत को चीते देने वाले सीसीएफ की प्रमुख नामीबिया की लॉरी मार्कर को भी शामिल किया गया है। उनके अलावा दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ भी चीतों की मौत का पता लगाएंगे। कमेटी चीतों की प्रोग्रेस और मॉनिटरिंग की समीक्षा करेगी। यह कमेटी 2 साल के लिए बनाई गई है। यह हर महीने एक बैठक करेगी।

चीतों की मौत की बताई यह वजह

चीतों के शावकों के कमजोर होने की वजहें भी बताई गई हैं। दरअसल, चीतों के शावकों को शुरुआत से ही कमजोरी रहती है। जो शावक ज्यादा एक्टिव रहते हैं, वो सारा दूध पी जाते हैं। कहा जा रहा है कि तीनों शावक कमजोर होने की वजह से ही मारे गए। वहीं, इससे पहले जिस मादा चीता की मौत हुई थी। वो इसलिए हुई, क्योंकि उसे यहां लाने से पहले से ही वह किडनी की समस्या से जूझ रही थी। दूसरे चीता की मौत कार्डियो प्लेमेनरी फेलीयर की वजह से हुई है। इसमें हृदय और फेफड़ों में समस्या हो जाती है। इसके चलते ही उसने जान गंवाई। वहीं, अगर तीसरे मादा चीता की मौत की बात की जाए, तो उसकी वजह आपकी रंजिश रही है। वह अन्य चीतों के हिंसक रवैये का शिकार होकर मारी गई। वहीं कूनो में अब तक तीन चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है। अब कूनो में 18 चीते और एक शावक बचे हुए हैं।

इतनी हुई संख्या

दरअसल चीता प्रोजेक्ट के तहत पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। जिसके बाद 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। चार बच्चों के जन्म के बाद कुल संख्या 24 हो गई थी। वहीं अब 06 चीतों की मौत होने से यह संख्या 18 हो गई है।