भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने बुधवार को एक नए अध्ययन की रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें बताया गया कि कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षण क्षमता विकसित करने के नजरिए से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। आईसीएमआर ने इसकी जानकारी 16 जून को एक ट्वीट के जरिए दी।
इन मामलों में हुई मृत्यु में से अधिकांश का कारण निमोनिया और श्वसन विफलता
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार कोविड संक्रमित गर्भवती महिलाओं और प्रसवोत्तर महिलाओं की संख्या पहली लहर की तुलना में, दूसरी लहर में अधिक थी। साथ ही इसमें यह भी बताया गया कि दूसरी लहर के दौरान इन मामलों की मृत्यु दर 5.7 प्रतिशत थी, जो पहली लहर की 0.7 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक है। मृत्यु के कारण के विषय में इस अध्ययन से पता चला कि महामारी की दोनों लहरों के दौरान हुई इन मृत्यु में से अधिकांश का कारण निमोनिया और श्वसन विफलता थी।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए वैक्सीन बिलकुल सुरक्षित
मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने बताया था कि गाइडलाइन्स के अनुसार गर्भवती महिलाओं को अभी टीका लगवाने की अनुमति नहीं है, लेकिन जल्द ही सरकार इस विषय में मौजूद और आगे उपलब्ध होने वाले परीक्षण डाटा के आधार पर निर्णय ले सकती है। वहीं एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने जानकारी दी थी कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन से घबराने की जरूरत नहीं है। उनके और उनके बच्चों के लिए दोनों वैक्सीन बिलकुल सुरक्षित हैं।
पिछले दो हफ्तों से कोविड के मामलों में दर्ज की गई गिरावट
पिछले एक सप्ताह से भारत में कोविड के मामलों में कमी आई है। पिछले 24 घंटे में ही 1 लाख से ज्यादा लोग कोविड-19 से स्वस्थ हुए हैं। लगातार 35वें दिन बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या दैनिक नए मामलों की संख्या से ज्यादा रही। रिकवरी रेट अब बढ़कर 95.93 प्रतिशत हो गया है जो भारत के लिए एक अच्छी खबर है।