April 19, 2024

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शरद नवरात्रि : नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है माता महागौरी की पूजा, माँ भक्तों के सभी कष्टों को करती है दूर, जाने पूजन विधि और मन्त्र

नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी का पूजन किया जाता है । कहा जाता है कि नवरात्र के आठवें दिन महागौरी पूजन से आर्थिक कष्ट दूर होते है ।  इस दिन को महाअष्टमी भी कहा जाता है । जो लोग पूरी नवरात्रि व्रत नहीं रख पाते, वे अष्टमी के दिन व्रत रखकर माता महागौरी का पूजन करते हैं । महागौरी का पूजन करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति को दीर्घायु प्राप्त होती है ।  वहीं कुंवारी कन्याओं को मनभावन पति मिलता है ।  माना जाता है कि जो लोग माता महागौरी का विधि विधान से पूजन करते हैं, उनके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है ।

महागौरी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती रूप में महागौरी ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए  कठोर तप किया था। एक बार भगवान भोलेनाथ द्वारा कहे गए किसी वचन से पार्वतीजी का  मन का आहत होता है और पार्वतीजी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर  तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आतीं तो पार्वतीजी को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास  पहुंचते हैं। वहां पहुंचकर वे पार्वतीजी को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। पार्वतीजी का रंग  अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुंद के फूल के समान धवल  दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते  हैं और वे ‘महागौरी’ कहलाती हैं।

 
माता का स्वरुप

मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। इनकी उपासना से भक्तों को सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ।

पूजन विधि –

नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। और पूजा वाले स्थान को गंगाजल से साफ़ करें । जमीन पर चौक बनाकर फिर चौकी या पाटा रखें. उस पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मातारानी की तस्वीर रखें ।  चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह भी रखें । इस दिन माता की तस्वीर के समक्ष ​मिट्टी के गौर जरूर रखने चाहिए । मिट्टी के गौर को माता पार्वती का महागौरी स्वरूप माना जाता है ।  इसके बाद गणपति का पूजन करें और मातारानी और महागौरी का प्रतीक गौर को सात बार सिंदूर अर्पित करें और सुहागिन महिलाएं इस सिंदूर को मां को अर्पित करने के बाद अपनी मांग में भी लगाएं ।  इसके बाद धूप, दीप, अक्षत, पुष्प आदि माता को अर्पित करें  ।  इसके बाद हलवा, चना और पूड़ी का प्रसाद अर्पित करें । फिर मां महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करनी चाहिए । नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है ।

इन मंत्रों का करे उच्चारण-

* श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

* या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।