देश में प्लास्टिक के कचरे से पैदा होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस दिशा में केंद्र सरकार ने बुधवार को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत प्लास्टिक पैकेजिंग को लेकर विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व के लिए दिशा-निर्देशों को अधिसूचित किया गया है।
सीपीसीबी की क्या भूमिका ?
गौरतलब हो दिशा-निर्देशों को सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों पर पाबंदियों के साथ जोड़ा गया है। यानि नए नियमों के तहत प्लास्टिक अवशेष प्रबंधन के लिए उत्पादकों, आयातकों, ब्रांड मालिकों और केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को निर्धारित किया गया है। यह कदम एक जुलाई, 2022 से प्रभावी हो जाएगा। आसान शब्दों में कहें तो प्लास्टिक पैकेजिंग वाली कंपनियां यदि निस्तारण लक्ष्य में विफल रहती हैं या वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्रेडिट नहीं जुटा पाती तो उन्हें इसके बदले में जुर्माना भुगतना होगा। जुर्माना तय करने और सभी निस्तारण से जुड़े सभी कामों पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानि सीपीसीबी की नजर रहेगी।
कहां नहीं इस्तेमाल होगी सिंगल यूज प्लास्टिक ?
यानि अब पूरे देश में खुदरा विक्रेताओं, फेरीवालों, मल्टीप्लेक्स, ई-कॉमर्स कंपनियों, निजी और सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में एकल इस्तेमाल वाली प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर प्रदूषण कानून के तहत कार्रवाई होगी जिसके तहत माल की जब्ती के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भी वसूला जाएगा।
सरकार का जोर देश में पूरी तरह पुन: इस्तेमाल किए जाने योग्य प्लास्टिक को बढ़ावा देना है
उल्लेखनीय है कि सिंगल यूज प्लास्टिक कम उपयोगी होती है और उसका कचरा अत्यधिक मात्रा में जमा होता है। वहीं केंद्र सरकार का जोर देश में पूरी तरह पुन: इस्तेमाल किए जाने योग्य प्लास्टिक को बढ़ावा देना है। इससे न सिर्फ प्लास्टिक पैकेजिंग अवशेष की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत मिलेगी बल्कि प्लास्टिक के नए विकल्प भी तलाशे जा सकेंगे। केवल इतना ही नहीं ये नियम आगामी दिनों में देश में कारोबार के लिए टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग की राह भी प्रशस्त करेंगे।