September 29, 2023

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एक्स-रे’ सेतु प्रणाली के जरिये कोविड समेत अन्य बीमरियों का भी घर बैठे लगाया जा सकता पता, बस करना होगा यह काम

कोविड महामारी की दूसरी लहर भारत के शहरों को प्रभावित करने के बाद अब गांवों में तेजी से अपने पैर पसार रहा  है। इसके फैलते संक्रमण को रोकने के लिए ग्रामीण इलाकों में  ज्यादा से ज्यादा कोविड की जांच करवाने की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर आर्टपार्क (एआई एंड रोबोटिक टेक्नोलॉजी पार्क) नाम की संस्था ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित प्लेटफार्म की मदद से एक प्रणाली विकसित की है जिसे ‘एक्स-रे सेतु’ नाम दिया गया है ।वर्तमान समय में आसान वैकल्पिक जांचों की जरूरत है, क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है। जांच में वैरियंट विशेष का पता नहीं लग पाता। कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में प्रभावी जांच एक चुनौती बन जाती है। गांवों में इस चुनौती को आसान बनाने के लिए ही इस तकनीक को विकसित किया गया है।

एक्स-रे को व्हॉट्स-एप्प के जरिए भेजा जाएगा डॉक्टरों के पास

इस प्रक्रिया के तहत छाती का एक्स-रे करके उसे व्हॉट्स-एप्प के जरिए डॉक्टरों के पास भेज दिया जायेगा। डॉक्टर उसे एक्स-रे मशीन पर देख सकते हैं। एक्स-रे को कम रेजोल्यूशन वाली फोटो को मोबाइल के जरिए भी भेजा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में कोविड की जांच और कार्रवाई के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकता है।

आर्टपार्क को सी-डैक से मिल रहा सहयोग

इसे बनाने वाले आर्टपार्क को भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू ने स्थापित किया है। आर्टपार्क को नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसीप्लिनेरी साइबर-फिजीकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत शुरू किया गया था और अब उसे सी-डैक जैसी संस्था से सहयोग मिल रहा है। इसमें कृत्रिम बौद्धिकता वाला सुपरकंप्यूटर परमसिद्धि, एनवीडिया और एडब्लूएस शामिल हैं। यह ग्रामीण भारत में डॉक्टरों को निशुल्क सेवा प्रदान कर रहा है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भी किया सहयोग

‘एक्स-रे सेतु’ के विकास में भारत सरकार की संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भी सहयोग दिया है। बेंगलुरु स्थित हेल्थ-टेक स्टार्ट-अप निरामय और भारतीय विज्ञान संस्थान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर ‘एक्स-रे सेतु’ का विकास किया है। इसे कोविड पॉजीटिव मरीजों की पहचान करने और व्हाट्स-एप के जरिये उनकी छाती के एक्स-रे को कम रेजूल्युशन पर डॉक्टर तक भेजने की सुविधा के लिये तैयार किया गया है।

कैसे करें उपयोग ?

स्वास्थ्य की जांच करने के लिये किसी भी डॉक्टर को सिर्फ www.xraysetu.com पर जाकर ‘ट्राई दी फ्री एक्स-रे सेतु बीटा’ बटन को क्लिक करना है। उसके बाद यह प्लेटफार्म उन्हें सीधे दूसरे पेज पर ले जायेगा, जहां उक्त डॉक्टर वेब या स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिये व्हॉट्स-एप आधारित चैट-बॉट से जुड़ जायेंगे। इसके अलावा डॉक्टर एक्स-रे सेतु सेवा शुरू करने के लिए +91 8046163838 पर व्हॉट्स-एप संदेश भेज सकते हैं। उन्हें बस मरीज के एक्स-रे इमेज को क्लिक करना है और चंद मिनटों में ही सम्बंधित तस्वीरें और निदान की पूरी व्याख्या वाले दो पेज निकल आएंगें।

रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी होगा उल्लेख

इस रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी उल्लेख रहेगा। इसका मतलब है कि प्रभावित इलाकों का विश्लेषण रंगों के जरिये मानचित्र (हीटमैप) द्वारा किया जाएगा । यह समीक्षा डॉक्टरों के लिये उपलब्ध रहेगी, ताकि वे आसानी से हालात के बारे में जान सकें। इसके जरिए भारत के दूर-दराज इलाकों से अबतक 1200 से अधिक रिपोर्ट मिली हैं।

कोविड-19 के अलावा 14 अन्य बीमारियों का भी लगाया जा सकता है पता

कोविड-19 के अलावा इस प्लेटफार्म से टीबी और निमोनिया जैसे फेफड़े को प्रभावित करने वाली 14 अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल एनालॉग और डिजिटल एक्स-रे, दोनों रूपों में किया जा सकता है। पिछले 10 महीनों के दौरान ग्रामीण इलाकों में कार्यरत 300 से अधिक डॉक्टरों ने इसका सफल प्रयोग किया है। एक्स-रे सेतु जैसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित सेवाओं को मोबाइल के जरिए चलाया जा सकता है। इसके कारण बहुत सस्ती दर पर ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुगम बनाया जा सकता है।

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