आज केदारनाथ आपदा को 8 साल हुए पूरे,मंदिर परिसर को छोड़ शेष पूरा क्षेत्र बाढ़ से हुआ था तहस-नहस, बेहद भयावह था वह मंजर

उत्तराखंड में 2013 में आई आपदा का जख़्म आज भी लोगों में है। जून 2013 में आपदा से केदारनाथ धाम को खासा नुकसान हुआ। यहां मंदिर परिसर को छोड़ शेष पूरा क्षेत्र बाढ़ से तहस-नहस हो गया था। साल 2013 केदारनाथ धाम में भारी बारिश के बीच मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप दिखाया था। आज केदारनाथ त्रासदी को आठ साल गुजर चुके हैं।

16-17 जून की केदारनाथ त्रासदी-

जलप्रलय ने समूची केदारघाटी को आगोश में लेकर न सिर्फ भारी तबाही मचाई। तब जून 13 से लेकर 17 के बीच उत्तराखंड में काफी बारिश हुई थी। ये बारिश औसत से ज्यादा थी। इस दौरान वहां का चौराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया था, जिससे मंदाकिनी नदी का जलस्तर देखते ही देखते बढ़ने लगा। इस बढ़े हुए जलस्तर ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी नेपाल का बड़ा हिस्सा अपनी चपेट में ले लिया। तेजी से बहती हुई मंदाकिनी का पानी केदारनाथ मंदिर तक आ गया। जिसमें झील का पानी पहाड़ से नीचे आया जिसने मंदाकिनी के साथ मिलकर जबरदस्त तबाही मचाई थी।

इस आपदा में 4000 से अधिक लोग ने गंवाई थी अपनी जान-

इस आपदा में 4000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इसमें हजारों लोग हमेशा के लिए बिछुड़ गए थे। अपनों को खोने वालों के जख्म आज भी उस प्रलय को नहीं भूला पाए हैं। इस त्रासदी में लापता हुए लोगों के रिश्‍तेदार आज भी अपनों के इंतजार में बैठे है।

2 महीने तक चला था रेस्क़्यू-

इसमें रेस्क्यू के लिए सेना से 10000 जवान, नेवी के गोताखोरों से लेकर एयरफोर्स के 45 विमान भी लगे। जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। हजारों लोग बह गए और कई आज भी लापता हैं। लाखों लोगों को रेस्क्यू किया गया। लगभग 110000 लोगों को सेना ने बचाया। ये राहत कार्य लगभग दो महीने तक चलता रहा था।

आज एकदम नए रूप में निखरी है केदारघाटी-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारपुरी के पुनर्निर्माण को लेकर गंभीरता से उठाए गए कदमों का नतीजा है कि केदारपुरी आज एकदम नए रूप में निखर रही है। आज केदारनाथ धाम में पुर्ननिर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं। जून 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य लगभग पूर्ण होने को हैं।