हरिद्वार: महाकुंभ के दौरान कोविड-19 की गलत टेस्टिंग के मामले को लेकर सरकार सख्त हो गयी है । उत्तराखंड सरकार ने दिल्ली और हरियाणा की पांच लैब्स पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी कर दिया है । हरिद्वार में महाकुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं का जगह-जगह पर कोविड-19 टेस्ट करवाया गया था ।
प्राइवेट लैब्स ने बड़े पैमाने पर फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी किए
मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि हरिद्वार जिला प्रशासन को कुंभ मेले में कोविड परीक्षण करने वाले हरियाणा व दिल्ली के लैब्स पर एफआईआर के लिए आदेश दिया गया है। जिसमे पांच जगहों पर हुई टेस्टिंग में काफी फर्जी रिपोर्ट जारी की गयी है । कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान कुम्भ में लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे थे । जिसके लिए जगह -जगह पर भक्तों और संतों के कोविड टेस्ट करवाया जा रहा था । 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक यह सिलसिला चलता रहा। हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मेले में जाने के लिए पहले रैंडम टेस्ट कराया जा रहा था। 24 प्राइवेट लैब्स को कुंभ में बड़े स्तर पर रैंडम टेस्टिंग का जिम्मा दिया गया था , लेकिन अब पता चला है कि प्राइवेट लैब्स ने बड़े पैमाने पर फर्जी टेस्ट रिपोर्ट जारी किए थे ।
इस तरह हुआ पूरा खुलासा
यह खुलासा पंजाब के फरीदाकोट के रहने वाले एक व्यक्ति ने किया । आईसीएमआर को उसने पत्र लिखकर बताया कि वह कुंभ के दौरान अपने घर पर रहा । उनको आये एक मैसेज से उनको शंका हुई और उन्होंने एक आरटीआई दायर की। इसके बाद आई सी एम आर ने जांच शुरू की और कुंभ मेले के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। सूत्रों के अनुसार व्यक्ति को 22 अप्रैल को एक मैसेज आया जिसमें कहा गया कि उनकी कोविड जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है।खास बात यह है कि उन्होंने टेस्ट कराया ही नहीं था।अपने निजी डेटा के खतरे में होने की शंका के बीच उन्होंने पड़ताल शुरू की। जिला स्तर से शुरू होकर आरटीआई तक पहुंची खोज के बाद एक बड़ा गोलमाल सामने आया,जिसे देश का सबसे बड़ा फर्जी कोविड जांच घोटाला कहा जा रहा है। इसके बाद एक जांच कमेटी गठित की गई।