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एक महिला की सिजेरियन डिलीवरी पिछले साल देहरादून में हुई थी। आरोप है कि प्रसव के दौरान इलाज में प्रयुक्त पट्टी को डॉक्टर ने महिला के पेट में ही छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद महिला को परेशानी होने लगी तो उसने अल्ट्रासाउंड करवाया, जिसमें पता चला कि लापरवाह डॉक्टर ने महिला के पेट में आपरेशन में इस्तेमाल पट्टी छोड़ दी है।
मानवाधिकार आयोग ले रहा मामले में संज्ञान
मामला गांधी शताब्दी अस्पताल का बताया जा रहा है। पिछले साल 28 अक्टूबर को नेहरू कॉलोनी निवासी शिक्षक की पत्नी को यहां प्रसव के लिए लाया गया था। डिलीवरी सिजेरियन से हुई थी। आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने महिला के पेट में पट्टी छोड़ दी।समस्या होने पर महिला का अल्ट्रासाउंड कराया गया, फिर गर्भाशय से पट्टी हटा दी गई। इस घटना के बाद पीड़ित पक्ष ने डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर नहीं मिला। पीड़िता ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में भूपेंद्र कुमार नाम के शख्स ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही बताया और कहा कि इससे महिला की जान भी जा सकती थी। संभव है कि इस तरह की लापरवाही पहले भी हो चुकी हो। इसलिए ऐसे मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।हालांकि मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक को नोटिस भेजकर 4 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।
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