राज्यमंत्री रेखा आर्या व मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डा. रामगोपाल नौटियाल के बीच का विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है । राज्यमंत्री द्वारा प्राचार्य को हटाए जाने की मांग को लेकर स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा है । इसी के साथ ही विपक्ष ने प्राचार्य को हटाने की मांग को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है ।
अच्छे अधिकारियों की कोई कद्र नहीं है
उपपा के केंद्रीय संयोजक पीसी तिवारी ने रेखा आर्या के प्राचार्य के खिलाफ पत्र को गलत बताया है । और उन्होंने कहा कि यदि प्राचार्य को हटाया जाता है तो पार्टी विरोध करेगी। द्वाराहाट के पूर्व विधायक मदन बिष्ट ने भी कहा कि अच्छे अधिकारियों की कोई कद्र नहीं है।वहीँ अल्मोड़ा के पूर्व विधायक मनोज तिवारी ने इस मामले में कहा कि समीक्षा बैठक में फोन उठा लेने मात्र से प्राचार्य को हटाए जाने की मांग समझ से बाहर है।
यहां से मामलें ने पकड़ा तूल
विकास भवन में 11 जून को कोरोना की वर्तमान स्थिति पर समीक्षा चल रही थी। बतौर प्रभारी मंत्री रेखा आर्या के साथ ही विधायक, डीएम नितिन सिंह भदौरिया समेत प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस समीक्षा बैठक में शामिल हुए थे । प्राचार्य डा. नौटियाल पॉवर प्वाइंट सेकोविड अस्पताल बेस चिकित्सालय में व्यवस्थाओं, और अब तक की तैयारीयां व तीसरी लहर से निपटने के जरूरी इंतजाम की जानकारी दे रहे थे। इसी बीच डा. नौटियाल ने प्रस्तुतिकरण को रोक कर फोन रिसीव किया और करीब तीन मिनट तक बात की। इसे प्रभारी मंत्री ने प्रोटोकाल के विरुद्ध बताया तो प्राचार्य ने भी इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की । रेखा आर्या ने आरोप लगाया कि प्राचार्य ने सरकार के विरुद्ध गलतबयान बाजी कर के सरकार की छवि बिगाड़ने की कोशिश की। इसी के बाद मामलें ने तूल पकड़ लिया ।
मरीज को भर्ती कराने के लिए प्राचार्य को फोन किया था
विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा दोनों के बीच क्या झगड़ा चल रहा है इसकी मुझे जानकारी नहीं हैं । उन्होंने कहा कि मैंने तो एक मरीज को भर्ती कराने के लिए प्राचार्य को फोन किया था। और मात्र तीन सेकेंड ही बात हुई। कोरोनाकाल में तो अधिकारियों, डाक्टरों को मेरा ही नहीं बल्कि सभी का फोन उठाना चाहिए।