उत्तराखंड की पहाड़ी टोपी को पहचान दिलाने वाले शिल्पी कैलाश भट्ट का निधन हो गया है । उन्होंने 52 की उम्र में देहरादून के श्रीमहंत इंदिरेश हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। शिल्पी कैलाश भट्ट की मृत्यु से लोक संस्कृति से लेकर पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ पड़ी है । वह गोपेश्वर के हल्दापानी के निवासी थे। वह अपने पीछे पत्नी, बेटे व बेटी को छोड़ गए हैं।
पूरी दुनिया में उत्तराखंड की टोपी को एक अलग पहचान दिलाई
शिल्पी कैलाश भट्ट ने न केवल भारत में अपितु पूरी दुनिया में उत्तराखंड की टोपी को एक अलग पहचान दिलाई । शिल्पी कैलाश भट्ट मशहूर रंगकर्मी भी थे। वे बचपन से ही पारंपरिक परिधानों के निर्माण के कार्य में लगे हुए थे। उन्होंने मिरजई, आंगड़ी, झकोटा, घुंघटी,गाती, ऊनी सलवार,त्यूंखा, अंगोछा, दौंखा, सणकोट, गमछा, लव्वा,पहाड़ी टोपी जैसे उत्तराखंडी पारंपरिक वस्त्रों से नई पीढ़ी को मिलाया ।