विकास प्राधिकरणों में भवन नक्शे पास होने में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने लोगों को बड़ी राहत दी है। लोगों को घर बनाने के लिए नक़्शा पास कराने के लिए ज्यादा पैसा भी देना पड़ रहा था और भवन के निर्माण का नक्शा पास कराने में भी कई महीने लग जाते हैं। लेकिन प्रदेश सरकार ने लोगों को इस मामले में बड़ी राहत दे दी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मानचित्र शुल्क में भारी कटौती-
अबशहरी क्षेत्रों की तरह ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी उप विभाजन शुल्क सर्किल रेट का 5% से घटा दिया है, जो अब 1% कर दिया है। जिसके बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में मानचित्र शुल्क में भारी कटौती की जाएगी।
प्राधिकरण बोर्ड को मानकों में 25% तक शिथिलीकरण का मिला अधिकार-
इससे पहले मानचित्र स्वीकृत करवाने में मानकों में आंशिक कमी रह जाती थी। जिस वजह से मानचित्र स्वीकृत नहीं हो पाते थे। जिसके बाद अब उनको पास करने के लिए प्राधिकरण बोर्ड को मानकों में 25% तक शिथिलीकरण का अधिकार दे दिया गया है। इससे अब अधिकांश मानचित्र प्राधिकरण स्तर से ही स्वीकृत होंगे।
जिन क्षेत्रों में महा योजना लागू है, वहाँ-
जिन क्षेत्रों में महा योजना लागू है उन क्षेत्रों में 4000 से 10000 वर्ग मीटर तक के भू-क्षेत्रफल का भू-उपयोग परिवर्तन करने का अधिकार जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों/ स्थानीय विकास प्राधिकरणों को होगा। 10001 से 50000 वर्ग मीटर तक के भू क्षेत्रफल का भू-उपयोग परिवर्तन किये जाने का अधिकार उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) को होगा
50000 वर्ग मीटर से अधिक भू-क्षेत्रफल का भू-उपयोग परिवर्तन करने का अधिकार शासन को होगा। परन्तु ऐसी अधिकारिता का प्रयोग अपरिहार्य परिस्थितियों मे निकटवर्ती परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सम्यक जाँचोपरान्त औचित्य स्पष्ट करते हुए ही सुनिश्चित किया जायेगा। वही प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत आवासीय परियोजनाओं हेतु भू-उपयोग परिवर्तन स्थानीय विकास प्राधिकरण बोर्ड के माध्यम से किया जायेगा।