हर साल 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है Their Survival is in our hands (इनका अस्तित्व हमारे हाथ में है) , यह तारीख हम सभी के लिये, खास कर भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु जो है। दुनिया में मौजूद कुल बाघों में 70 प्रतिशत बाघ भारत में हैं। और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। सच पूछिए तो भारत में इतनी भारी संख्या में बाघों की मौजूदगी यह भी दर्शाती है कि भारत जैव विविधता के संरक्षण को लेकर कितना सक्रिय है।
हम बाघों की संख्या के मामले में विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। ये भारत की सॉफ्ट पावर हैं और इसे दुनिया के सामने हमें बेहतर तरीके से ले भी जाना चाहिए देश सभी 13 बाघ श्रेणी के देशों के साथ बाघों के वास्तविक प्रबंधन में काम करने के लिए तैयार हैं।
स्वदेशी ऐप के जरिए की गई बाघों की गणना
वर्तमान में 2967 बाघ भारत मे रहते है देश में 50 टाइगर रिजर्व हैं, जहां स्वदेशी एप एम-स्ट्राइप के जरिए बाघों की गणना की गई। यह एप एंड्रॉयड प्लैटफार्म पर चलता है और इससे बाघों की संख्या और उसके संरक्षण में उपयोग में लाया जा रहा है। इस एप के माध्यम से किए गए बाघों की आबादी 2018 की विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब दुनिया भर में रहने वाले बाघों की कुल संख्या का लगभग 70% बाघ रहते हैं। साल 2018 की गणना के अनुसार भारत में 2967 बाघ हैं। जबकि 2014 में देश में 2226 बाघ थे।
बाघों की गणना के लिए 26,838 कैमरा लगाये गए, जिनसे 3.48 करोड़ तस्वीरें ली गईं। इन तस्वीरों में 76,651 तस्वीरें बाघों की और 51,777 तेंदुओं की थीं।
29 जुलाई को क्यों मनाते हैं विश्व बाघ दिवस
वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ क्षेत्र वाले देशों के प्रतिनिधियों ने बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके 2022 तक बाघ क्षेत्र की अपनी सीमा में बाघों की संख्या दोगुना करने का संकल्प लिया था। इसी बैठक के दौरान दुनिया भर में 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया। तब से हर साल बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और उसके प्रसार के लिए वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है।
दुनिया भर में बाघों की संख्या में गिरावट के कारण
चीन में दवाईयां बनाने में बाघ के शरीर के हर एक अंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए मृत बाघ की कीमत भी ऊंची लगायी जाती है और यही कारण है कि दुनिया भर में लोग बाघों का अवैध शिकार करते हैं और अवैध तस्करी करते हैं।
जैव विविधता की कमी भी बाघ की संख्या में गिरावट का एक कारण है। बाघ वहीं पाये जाते हैं, जहां पर हरे भरे जंगल और कम से कम 93 प्रतिशत तक प्राकृतिक जैव विविधता मौजूद हो। और भारत में इसमें विस्तार पर जोर दिया जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र जल स्तर में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण सुंदरबन के जंगलों में रॉयल बंगाल टाइगर विलुप्त होते जा रहे हैं। हालांकि भारत सरकार विशेष अभियान के तहत सुंदरबन के जंगलों के संरक्षण के लिए प्रयासरत है।”
20वीं सदी की शुरुआत में कई प्रकार की अनैतिक गतिविधियों के कारण 95 प्रतिशत बाघ कम हो गए। माना जाता है कि बाघ बाकी पशु-पक्षियों के लिए एक छतरी के समान हैं। यानी जिन जंगलों में बाघों की संख्या अधिक है इसका मतलब बाकी की जीव प्रजातियां भी वहां संरक्षित हैं।