पूरी दुनिया में जैविक उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है। कोरोना महामारी के आने के बाद से अब लोग और अधिक हेल्थ कॉन्शियस हो गए हैं। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए ही अब भारत को आगे का रास्ता तय करना है। इस रास्ते पर देश ने धीरे-धीरे कदम जमाना भी शुरू कर दिया है। जी हां, जिस भारत को कभी गेहूं और धान की अधिक पैदावार होने के चलते “रोटी की टोकरी” के रूप में जाना जाता था, अब उसे ”विश्व की खाद्य टोकरी” के रूप में जाना जाएगा ।
कोरोना महामारी के बावजूद बढ़ा भारत का जैविक निर्यात
कोरोना महामारी के बावजूद भारत का जैविक निर्यात भी बढ़ गया है। भारत के जैविक निर्यात में 2019-20 के स्तर से करीब 51% की बढ़ोतरी हुई है। गौरतलब हो, भारत कृषि में शीर्ष 10 निर्यातक देशों में शामिल है और समग्र निर्यात अत्यंत महत्वपूर्ण दर से बढ़ता आ रहा है।
भारतीय जैविक उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के चलते आज भारत का जैविक निर्यात पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। जैविक उत्पादों के इस्तेमाल से शरीर स्वस्थ रहता है और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता, जबकि पेस्टेसाइट्स और अन्य रासायनिक पदार्थों की मदद से उपजे उत्पादों से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
2020-21 में 8,88,180 मीट्रिक टन रहा भारत का जैविक निर्यात
भारत का जैविक निर्यात वर्ष 2020-21 में 8,88,180 मीट्रिक टन था। बागवानी और फूलों की खेती का उत्पादन 330 मिलियन टन तक पहुंच गया। दुग्ध उत्पादन भी पिछले 6-7 वर्षों में लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है। लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई (माइक्रो इरीगेशन) के अंतर्गत लाया गया है।
केंद्र सरकार जैविक खेती को दे रही बढ़ावा
केंद्र सरकार देश में जैविक खेती को बढ़ाने पर खासा जोर दे रही है। इसके लिए जैविक एफपीओ (FPO) जैविक खाद की व्यवस्था करते हैं। सरकार का प्रयास है कि प्राकृतिक और जैविक खेती को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाए क्योंकि इससे रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता कम होती है और किसानों की आय में वृद्धि होती है।
केंद्र की मदद से भारतीय कृषि उत्पादों को मिल रही विशेष पहचान
वह दिन दूर नहीं जब भारत के तमाम कृषि उत्पादों का निर्यात तेजी से पूरी दुनिया में बढ़ेगा। इसके कुछ प्रमुख कारण हमारे सामने हैं, जिनमें से प्रमुख कारण है भारत का कृषि प्रधान देश होना। दरअसल, भारत की अधिकतर जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है इसलिए हमारे देश के लिए इस लक्ष्य तक पहुंच पाना कोई मुश्किल बात नहीं होगी। दूसरा, केंद्र सरकार से किसानों को मिलने वाला प्रोत्साहन भी भारत को ”विश्व की खाद्य टोकरी” बनने में मदद करेगा।