उत्तराखंड चार धाम यात्रा का संचालन कोरोना नियमों को पालन के साथ 18 सितम्बर से किया जाएगा। यात्रा के दौरान 72 घंटे पूर्व जांच रिपोर्ट और कोरोना टीका के दोनों डोज का प्रमाण पत्र अनिवार्य रहेगा। गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटा दिया है।
गुरुवार रात सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने बैठक में चार धाम यात्रा संचालन को लेकर न्यायालय के आदेश के तहत निर्णय लिए। इस दौरान सम्बंधित सभी विभागों को निर्देश दिए कि चार धाम यात्रा के लिए समय काफी कम बचा है वे अपनी सारी तैयारियां पूरी करें।
कोविड प्रोटोकॉल का किया जाएगा पालन
मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने कहा कि चारधाम यात्रा प्रदेश के लाखों व्यक्तियों के रोजगार और आजीविका का साधन है। चार धाम आने वाले सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहनना, शारीरिक दूरी के मानक का अनुपालन कराना और सैनिटाइजेशन कराना सुनिश्चित किया जाएगा।
स्थानीय लोगों की आजीविका को मिलेगा सहारा
डॉ संधू ने कहा कि हाईकोर्ट ने स्थानीय लोगों की आजीविका, कोविड नियंत्रण में होने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, एसओपी का कड़ाई से पालन आदि के आधार पर चार धाम यात्रा पर लगी रोक को हटाया है। यात्रा शुरू होने से हजारों यात्रा व्यवसायियों व तीर्थ पुरोहितों समेत उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों की आजीविका पटरी पर लौट सकेगी।
हर दिन इतने यात्री कर सकेंगे दर्शन
मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बद्रीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600, यमनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को दर्शन करने की अनुमति दे दी है।
श्रद्धालुओं को स्नान की नहीं है अनुमति
चार धाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को 72 घंटे पूर्व तक की कोविड जांच की नेगेटिव रिपोर्ट अथवा दोहरी वैक्सीन का प्रमाण पत्र साथ लाना अनिवार्य होगा। साथ ही तीर्थ यात्रियों को देवस्थानम बोर्ड में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। न्यायालय ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है। भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।