उत्तराखंड: खतरे की जद में जोशीमठ, घर छोड़ राहत कैंपों में शरण ले रहें लोग

उत्तराखंड में स्थित जोशीमठ खतरे की जद में हैं। जोशीमठ को हेमकुंड साहिब बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार कहा जाता है, जिसे भूस्खलन-भूधंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। यहां स्थानीय लोग घरों में आई दरारों के डर से हाड़ कंपाती सर्दी में घर से बाहर रहने को मजबूर हैं।

संकट में जोशीमठ

वहीं उत्तराखंड में जोशीमठ धीरे-धीरे दरक रहा है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। जिससे लोग दहशत में हैं। इस आपदा के बाद से स्थानीय लोगों को सरकार सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट कर रही है। किसी भी दिन जोशीमठ ध्वस्त हो सकता है। भूकंप का एक भी झटका बर्दाश्त नहीं कर सकता। आज की तारीख़ में जोशीमठ में क़रीब 4500 इमारतें हैं, उनमें से पौने पांच सौ मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। कई जगह तो ज़मीन भी धँस रही है‌। प्रधानमंत्री ने भी जोशीमठ पर आई इस विपदा पर चिंता जतायी है।

अपना आशियानों का घर छोड़ने को मजबूर‌ लोग

लोगों को अपना बरसों पुराना घर छोड़ना पड़ रहा है, अब आंसुओं के साथ साथ उनका गुस्सा भी फूट रहा है। साल के बारह महीनों पर्यटकों की भीड़ व चहलकदमी से गुलजार रहने वाले जोशीमठ नगर में अब खामोशी पसरने लगी है। चारधाम यात्रा व पर्यटन सीजन में देश-विदेश के हजारों पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को शरण देने वाले नगर के लोग अब स्वयं राहत कैंपों में शरण ले रहे हैं। भविष्य की चिंता उन्हें खाए जा रही है। लोग कह रहे हैं कि क्या उनका खुशियों का आशियाना फिर बन पाएगा। अपने इस दर्द को याद कर लोगों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।