एक ऐसी जगह जहां नवरात्रि में केवल महाकाली की की जाती है पूजा

देशभर में अलग अलग अंदाज से अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में सिर्फ अष्टमी यानि महाकाली का ही पूजन होता है। यहां पर सभी नवरात्र नहीं मनाए जाते। सिर्फ अष्टमी के दिन श्रद्धालु व्रत रखकर माता की पूजा अर्चना करते हैं। अष्टमी पूजन में प्रत्येक गांव में प्रत्येक घर से मुखिया शामिल होते हैं। अष्टमी के दिन घर के मुखिया व्रत रखते हैं। देवी मां की पूजा के दौरान नए कपड़े पहने जाते हैं। उसके बाद देवी मां को भोग लगाया जाता है। दिन में हलवा-पूरी से मां का पूजन किया जाता है, शाम के भोजन में मांसाहार से भी कोई परहेज नहीं है।

देश में है अलग पहचान

जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र की अनूठी अपनी परंपरा और अनोखी संस्कृति के लिए देश में अलग ही पहचान रखता है । जहाँ नवरात्रि में पूरे देश में नवरात्रि में देवी पूजी जाती हैं । जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में मां महाकाली की पूजा अष्टमी के दिन ही की जाती है। लेकिन वर्तमान समय में यहां के लोग नवरात्रों में नौ देवियों की पूजा करने की और अग्रसर हो रहे हैं । अष्टमी के इस व्रत में  परिवार का मुखिया महाकाली का उपवास रखता है ।  जौनसार बावर में जहाँ जहाँ महासू देवता का मंदिर है ।  वहां महाकाली जी विराजमान है ।  जौनसार बावर में कई जगह सिद्ध पीठ महाकाली की मंदिर हैं, जिसको लेकर यहां के लोगों की महाकाली के प्रति बड़ी आस्था है ।