आज 1 सितंबर है। आज ही के दिन 1 सितम्बर 1994 को राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इस गोलीकांड में 7 आंदोलनकारी शहीद हुए थे। जिस पर उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए शान्तिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से आवाज बुलंद कर रहे आंदोलनकारियों पर राजसत्ता ने बर्बर दमन करें जाने की स्मृति में उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने गोविंद बल्लभ पन्त पार्क में आन्दोलन के शहीदो को श्रृद्धांजलि दी।
जलियांवाला बाग की याद की ताजा-
इसकी अध्यक्षता करते हुए रेवती बिष्ट ने कहा तब की राज्य सरकार ने आन्दोलनकारियो पर ऐसा कहर बरपाया कि इन फिरंगियों से जलियांवाला बाग की याद ताजा हो गयी।
खटीमा की धरती राज्य बलिदानियों के लहू से लाल हुई है-
इस दौरान संचालन करते हुए पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि खटीमा की धरती राज्य बलिदानियों के लहू से लाल हो गयी। सात लोगों को अपनी शहादत देनी पड़ी। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। शहीदों में स्वर्गीय भगवान सिंह, प्रताप सिंह, सलीम अहमद, गोपीचन्द, धर्मानन्द भट्ट, रामपाल, परमजीत सिंह शामिल थे ।
लोकतंत्र के दायरे में आवाज उठाने वालों को बर्बर दंडनात्मक कार्यवाहियों का करना पड़ता है सामना-
वही जगत रोतेला ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यह कैसी विडम्बना है कि, शान्ति पूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाने का संवैधानिक अधिकार नागरिकों को हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है, साथ ही हम अपने आप को दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी मानते हैं, परन्तु संवैधानिक मूल्यों व लोकतंत्र के दायरे में आवाज उठाने वालों को बर्बर दंडनात्मक कार्यवाहियों का सामना करना पड़ता है।
खटीमा की यह घटना देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काले धब्बे के रूप में हमेशा रहेगी अंकित-
जंगबहादुर थापा ने कहा कि खटीमा की यह घटना देश के लोकतांत्रिक इतिहास में, एक काले धब्बे के रूप में हमेशा अंकित रहेगी। दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि खटीमा से राजसत्ता के दमन का जो सिलसिला शुरू हुआ। साथ ही राज्य निर्माण के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वालों की संख्या भी बढती चली गयी। जिसमें 42 शहादतें उत्तराखंडियों को देनी पड़ी। तब जाकर हमारे उत्तराखंड राज्य की जायज़ मांग पूरी हो सकी, परन्तु हमें हमारे संसाधनों पर भी पूरे अधिकार नहीं दिये गये।
शहीदों के बलिदान को याद कर उनके सपनों का बनेगा उत्तराखंड-
अजयमित्र सिंह बिष्ट ने शहीदों के बलिदान को याद कर उनके सपनों का उत्तराखंड बनाने की बात कही। कुणाल तिवारी ने गिर्दा के गीतों के माध्यम से श्रृद्धांजलि देते हुए कहा
“खटीमा मसुरि मुज़फ्फर, हम के भुलि जुलौ,
हम लड़ते रयां भुलू,हम लड़ते रूलौ !
वक्ताओं द्वारा खटीमा बलिदान दिवस”की वर्षी पर राज्य आंदोलन के अमर शहीदों को कोटि कोटि नमन करते हुए आशा व्यक्त की गई की शहीदों के सपनों के अनुरूप, राज्य निर्माण की लड़ाई जारी है। जन एकता से इसे मंजिल तक पहुँचाने में सफलता हासिल होगी।
यह लोग रहे शामिल-
इस दौरान श्रद्धांजलि देने वालो में अजय सिंह मेहता, हारिश उद्दीन ,नवीन पाठक , शमशेर जंग गुरुंग,माधुरी मेहता,पुष्पा बिष्ट,हरीश मेहता आदि शामिल रहे ।