कोविड प्रभारी राज्य मंत्री रेखा आर्या की शुक्रवार को विकास भवन सभागार में समीक्षा बैठक हुई। जिसमें समीक्षा बैठक में प्रोटोकॉल पर सवाल उठ रहे हैं।
विकास भवन सभागार में समीक्षा बैठक में प्रोटोकॉल के मामले पर बढ़ा विवाद-
अल्मोड़ा में राज्यमंत्री रेखा आर्या जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया समेत प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारियों की कोरोना संक्रमण समीक्षा बैठक ले रहीं थी। बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा के प्राचार्य डॉ. राम गोपाल नौटियाल के पास विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन आया। प्राचार्य का कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष का फोन रिसीव कर सामान्य शिष्टाचार के नियम फॉलो करते हुए बैठक का हवाला देकर बाद में कॉल बैक करने की बात कही। इस दौरान राज्यमंत्री रेखा आर्या ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पर बैठक के प्रोटोकॉल उल्लंघन करने का आरोप लगाया। मंत्री ने प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाते हुए जिलाधिकारी से प्राचार्य को कुछ सीख देने की बात कही।
विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन रिसीव करने पर खड़ा हुआ विवाद-
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर पर शुक्रवार को विकास भवन सभागार में हुई समीक्षा बैठक में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन रिसीव करने पर विवाद खड़ा हो गया। जिस पर प्राचार्य ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार विधानसभा उपाध्यक्ष की कॉल रिसीव करना भी जरूरी था। कोविड ड्यूटी के बीच बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले और मरीजों को दिक्कत न हो इसके लिए फोन बंद नहीं किया जा सकता था। कोरोना काल में कोई भी स्वास्थ्य समस्या न हो, किसी को कोई भी जरूरत पड़ सकती है। इसलिए फोन रिसीव करना आवश्यक है। विधानसभा उपाध्यक्ष को बाद में कॉल बैक करने की बात कही थी। मनोयोग से कार्य कर रहे हैं, प्रोटोकॉल के हिसाब से किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता भी बैठक में नहीं होने चाहिए थे।
कोविड प्रभारी राज्यमंत्री रेखा आर्या ने भी लगाया कोरोना प्रोटोकॉल का आरोप-
कोविड प्रभारी राज्यमंत्री रेखा आर्या ने बैठक के बीच फोन में बात करने पर प्राचार्य पर प्रोटोकॉल नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। मंत्री ने प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाते हुए जिलाधिकारी से प्राचार्य को कुछ सीख देने की बात कही। मंत्री ने कहा जिले की कोविड प्रभारी मंत्री हूं, गंभीर विषय पर समीक्षा करते हुए कोविड की तीसरी लहर को लेकर निर्देश दिए जा रहे थे। बैठक के बीच प्रजेंटेशन छोड़ प्राचार्य तीन मिनट तक फोन में व्यस्त रहे। मुझे नहीं पता कि फोन किसका आया था। बैठक में कौन बैठेगा और कौन नहीं प्राचार्य तय नहीं करेंगे। वह बेमन से कार्य कर रहे हैं, दो बार इस्तीफा दे चुके हैं। उन्हें पद पर बने रहने का अधिकार नहीं हैं। मुख्यमंत्री को मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
प्राचार्य ने भी प्रोटोकॉल का कसा तंज-
जिस पर जवाब में प्राचार्य ने भी बैठक में भाजपा के पदाधिकारियों के बैठने पर प्रोटोकॉल का तंज कस दिया। विवाद यहां तक बढ़ गया कि प्राचार्य ने भी अधिकारियों की समीक्षा बैठक में भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बैठने पर प्रोटोकॉल के सवाल उठाए। जिसके बाद से प्रोटोकॉल के मामले को लेकर विवाद बढ़ गया।